
क्या मोदी से मिलने के बाद अज्ञातवास से बाहर आ गईं वसुंधरा- संगठन में उनकी सक्रियता के क्या मायने हैं?
जयपुर। कहते हैं एक तस्वीर हजार शब्दों के बराबर होती है। खास तौर पर जब यह तस्वीर सियासत के कॉरिडोर से होकर बाहर आती है तो इसके मायने और संदेश बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैं। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की ऐसी ही एक तस्वीर कल बीएल संतोष की बैठक से निकलकर आई।
राजस्थान में वसुंधरा राजे एक बार फिर से चर्चाओं में हैं। बीते दिनों पीएम मोदी का मंच हो या बीजेपी संगठन की अहम बैठकें राजे की मौजूदगी राजस्थान की सियासत को बड़ा संदेश दे रही है। रविवार को बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष ने प्रदेश बीजेपी कार्यालय में संगठन और सरकार दोनों की समीक्षा बैठक ली। इस बैठक कक्ष से बाहर आई एक तस्वीर ऐसी थी जिस पर सबकी नजरें ठिठकीं। ये तस्वीर वसुंधरा राजे की थी जो इस बैठक का हिस्सा थीं। बैठक में वे मुस्कुराती हुई नजर आईं और राजे सरीखे मंझे राजनेता तस्वीरों के जरिए संदेश देने की रिवायत को भली-भांति जानते हैं।
अब इन तस्वीरों के साथ सवाल भी खड़े हो रहे हैं। करीब एक साल के अज्ञात वास से वसुंधरा राजे का बाहर आना और संगठन में उनकी बढ़ती सक्रियता के क्या मायने हैं? क्या राजे को कोई बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी?
जानकारी के मुताबिक संगठनात्मक समीक्षा की औपचारिक बैठक के इतर राजे और बीएल संतोष अलग से बातचीत भी हुई।
इससे पहले वसुंधरा राजे की तस्वीर पीएम हाऊस से आई थी जिसमें वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वन-टू-वन मिलती नजर आईं। यह मुलाकात तब और भी ज्यादा चर्चाओं में आई जब राजस्थान के प्रदेश प्रभारी ने राजे की ओर से सोशल मीडिया पर साझा की गई इस तस्वीर को रिट्वीट करते हुए लिखा…बहुत-बहुत शुभकामनाएं व हार्दिक बधाईयां वसुंधरा राजे जी..। इसके बाद सोशल मीडिया पर यह चर्चाएं तेज हो गईं कि राजे को राजस्थान अथावा राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है।
राजे को तरजीह क्यों दी जा रही है…
अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या वाकई राजे को तरजीह दी जा रही है और ऐसा है तो क्यों दी जा रही है? क्योंकि मुरली मनोहर जोशी, लालकृष्ण आडवाणी जैसे दिग्गज नेताओं का बीजेपी में पुनर्वास नहीं हो पाया। वहीं राजस्थान में विधानससभा चुनाव, लोकसभा चुनाव व उसके बाद हाल में हुए उपचुनाव में पूरी तरह साइडलाइन रही राजे को अचानक क्यूं पूछा जाने लगा है। चर्चाएं है कि उन्हें पार्टी में कोई अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है। ऐसी चर्चा है कि राजस्थान में संगठन और सरकार की डिलिवरी नहीं है। रविवार को बीएल संतोष ने प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ को कड़ी फटकार लगाते हुए यह तक कहा कि आप अभी भी पाली जिलाध्यक्ष की तरह काम करते नजर आ रहे हैं।
सरकार के स्तर पर भी कुछ कमियां नजर आ रही है या पार्टी में कुछ असंतोष पनप रहा है? इन सब को साधने के लिए बीजेपी के पास राजस्थान में फिलहाल राजे से बेहतर कोई नेता नहीं है।
वसुंधरा सक्रिय होती है तो फायदा किसे
वसुंधरा राजे सक्रिय होती हैं तो इसका फायदा सीएम भजनलाल को भी मिलेगा। वे पहली बार के सीएम हैं। सरकार में उनका अनुभव कम है और वरिष्ठों को साधने की चुनौती भी बड़ी है। ऐसे में यदी राजे का समर्थन उन्हें मिलता है तो निश्चित रूप से राहत मिलेगी।
राजस्थान के कुछ वरिष्ठ पत्रकारों की इस पर क्या राय है
वैसे तो आजकल बीजेपी में क्या होता है इसका अंदाजा तो लग नहीं सकता। जिस तरह से वसुंधरा राजे बीजेपी के कार्यक्रमों में बढ़चढ़ कर भाग ले रही हैं और बड़ी मीटिंग्स में सक्रियता दिख रही है। उसे देखकर लगता है कि राजे अपनी सक्रियता बढ़ना चाह रही है। उसे देखकर ऐसा लग रहा है कि शायद बीजेपी उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी राज्य या राष्ट्रीय स्तर पर देना चाहती है।
बीजेपी वुमन एम्पावरमेंट की बात कर रही है। इनके पास उत्तर भारत में बड़े जनाधार वाली दो महिला नेता थीं। वे दोनों एक्स सीएम हैं। इनमें एक वसुंधरा राजे हैं और दूसरी उमा भारती। लंबे असरे से इन्हें मुख्य धारा में नहीं रखा गया। ऐसे में बीजेपी को लगा होगा कि
पार्टी में इनकी उपेक्षा नहीं की जा सकती। वसुंधरा राजे की बात करें तो उनका बीजेपी से जुड़ाव पारंपरिक भी है क्योंकि बीजेपी के गठन में उनकी मां विजयाराजे की अहम भूमिका रही थी।