
जयपुर। जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, अहिंसा यात्रा प्रणेता, अखंड परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी अखंड श्रम कर गुलाबी नगरी के गली-गली और नगर-नगर को पावन कर रहे हैं। प्रात:काल आचार्यश्री विहार को निकलकर प्राय: पूरे दिन ही विहरमान रह रहे हैं। क्षणिक विश्राम और जन-जन की भावनाओं को पूर्ण करने को तत्पर करुणाशील आचार्यश्री महाश्रमण ने मानों पूरे जयपुर को ही पावन बना दिया है। शुक्रवार को भी प्रात: की मंगल बेला में आचार्यश्री ने श्यामनगर स्थित तुलसी साधना केन्द्र से मंगल प्रस्थान किया तो जयपुर के अनेकानेक गलियों, नगरों का भ्रमण करते, लोगों को मंगल आशीष व प्रेरणा प्रदान करते महाप्रज्ञ इन्टरनेशल स्कूल में पधारे। जहां छात्रों को पावन प्रेरणा प्रदान कर पुन: ज्योतिचरण गतिमान हुए तो कितनों को आशीर्वाद और मंगल प्रेरणा प्रदान करते हुए निर्धारित कॉशमॉश गार्डन में पहुंचते सायं तीन बज चुके थे। इस गार्डन से संबंधित लोगों ने आचार्यश्री का भावभरा अभिनंदन किया। आचार्यश्री ने वर्चुअल रूप से आयोजित प्रवचन कार्यक्रम में पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि शास्त्रकारों ने राग और द्वेष को कर्म का बीज बताया है। आदमी जो भी अपराध और पाप करता है, उसके पीछे राग और द्वेष की अभिप्रेरणा ही होती है।
राग और द्वेष ही न हो तो पाप भी नहीं हो पाएगा। राग का तो और भी ज्यादा गहरा प्रभाव होता है। द्वेष न हो तो भी राग का अस्तित्व हो सकता है, किन्तु राग के बिना द्वेष का अस्तित्व नहीं हो सकता। मूल बात है कषाय कर्म के बीज होते हैं और मोहनीय कर्म पाप का मूल है। आदमी को राग-द्वेष को कम करने अथवा साधना के द्वारा राग-द्वेष को प्रतनु बनाने का प्रयास करना चाहिए। कषायों में एक है गुस्सा। गुस्सा आदमी की कमजोरी भी होती है। आदमी बहुत जल्दी गुस्से में चला जाता है।
गुस्से में आदमी कई बार वचन और कार्य द्वारा हिंसा भी कर सकता है। व्यापार, परिवार, समाज, राजनीति अथवा धर्म हो, कहीं भी गुस्सा काम का नहीं होता। आदमी को गुस्से को कम करने का प्रयास करना चाहिए। इसी प्रकार आदमी कषायों से मुक्ति का प्रयास करे तो मोक्ष मार्ग की प्राप्ति भी संभव हो सकती है। इसके लिए राग-द्वेष से मुक्ति का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने कहा कि वर्ष 2021 विदाई की ओर है। कुछ घंटों में ही वर्ष 2021 इतिहास का विषय हो जाएगा, और मानों बाद में वर्ष 2022 का साम्राज्य स्थापित हो जाएगा। अतीत की समीक्षा कर भविष्य की अच्छी तैयारी की जा सकती है।
शेष पृष्ठ 3 पर आचार्यश्री के मंगल आगमन पर महेन्द्र बांठिया और राजेन्द्र बांठिया ने अपनी श्रद्धासिक्त अभिव्यक्ति दी। बांठिया परिवार ने गीत के माध्यम से अपने आराध्य की अभिवंदना की। बालक काम्य नाहटा ने भी अपनी बालसुलभ अभिव्यक्ति दी। अल्पकालिक विश्राम के पश्चात् आचार्यश्री पुन: सवा चार बजे के आसपास विहरमान हुए और लगभग छह किलोमीटर का विहार कर महापुरा में स्थित सिंगार वैली में पहुंचे। यहां आचार्यश्री का रात्रिकालीन प्रवास हुआ।
आचार्य महाश्रमण नववर्ष का मंगलपाठ अरबन विला में फरमाएंगे
शनिवार सुबह सिंगार वेली से अरबन विला पहुंचकर ग्यारह बजे कार्यक्रम का शुभारंभ एवं 11.21 बजे से लगभग बारह बजे के बीच नववर्ष के लिए आचार्य महाश्रमण श्रद्धालुओं को मंगलपाठ फरमाएंगे। तेरापंथ सभा के पूर्व अध्यक्ष दौलत डागा की मेजबानी में आचार्यश्री रविवार 2 दिसंबर तक अरबन विला विराजेंगे। सोमवार को यहां से बगरू की ओर विहार करेंगे।