
2054 तक रहेगा नियंत्रण
एशिया के सबसे अमीर कारोबारी गौतम अडानी अब अपने कारोबार को वैश्विक स्तर पर नई पहचान देने की कवायद में जुट गए हैं। भारत समेत दुनिया के कई देशों में उनका कारोबार पहले से फैला हुआ है। अब उन्होंने इसराइल में भी सफलता के झंडे गाडऩे की तैयारी कर ली है। अडानी की कंपनी अदाणी पोट्र्स ने इसरायल की केमिकल और लॉजिस्टिक्स कंपनी गैडोट के साथ मिलकर सबसे महंगी बोली लगाते हुए इजराइल के ऐतिहासिक बंदरगाह के निजीकरण का काम अपने हाथों में ले लिया है। अब इस बंदरगाह पर अगले 31 साल तक अदाणी की कंपनी अदाणी पोट्र्स का नियंत्रण रहेगा।
खबरों के मुताबिक हाइफा पोर्ट की यह डील लगभग 1.2 अरब डॉलर में फाइनल हुई है। बताया यह भी जा रहा है कि हाइफा बंदरगाह की 70 फीसदी हिस्सेदारी अदाणी पोट्र्स के पास रहेगी, जबकि बाकी की 30 फीसदी हिस्सेदारी गैडोट ग्रुप के पास रहेगी। हाइफा पोर्ट पर आने वाले 31 सालों तक यानी 2054 तक दोनों कंपनियों का नियंत्रण रहेगा। अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी ने इस संबंध में ट्वीट करते हुए जानकारी दी है कि इसराइल (इजरायल) के हाइफा बंदरगाह (हइफा पोर्ट) के निजीकरण के टेंडर को पार्टनर कंपनी गैडोट के साथ मिलकर हमने हासिल कर लिया है। अदाणी ने आगे लिखा कि यह दोनों देशों के लिए सामरिक और ऐतिहासिक रूप बेहद महत्वपूर्ण बंदरगाह है। आपको बता दें कि इसराइल ने देश के सबसे बड़े और ऐतिहासिक महत्व के हाइफा बंदरगाह के निजीकरण के लिए टेंडर जारी किए थे, इसकी बोली लगाने के लिए दुनियाभर की कंपनियों को आमंत्रित किया गया था। गौतम अदाणी की कंपनी अदाणी पोट्र्स ने इसराइल की केमिकल एंड लॉजिस्टिक कंपनी गैडोट के साथ मिलकर इस टेंडर में सबसे बड़ी बोली लगाई और इसे हासिल कर लिया है।
हाइफा पोर्ट भूमध्य सागर के पूर्वी किनारे पर गहरे पानी वाला बंदरगाह है। यह बंदरगाह इसराइल के तीन सबसे बड़े बंदरगाहों में से एक माना जाता है। इसका निर्माण ब्रिटिश काल में साल 1922 में शुरू किया गया था, जिसे 11 साल बाद 1933 से आधिकारिक रूप से इस्तेमाल किया जा रहा है। यहां से मालवाहक और यात्री जहाजों दोनों का ही आना-जाना होता है।
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