
वॉशिंगटन। अमेरिकी चुनाव में पराजय के साथ ही रिपब्लिकन पार्टी में राष्ट्रपति ट्रंप की जगह हथियाने की होड़ शुरू हो गई है। यह लगभग साफ हो जाने के बाद कि ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने की राह बंद हो गई है, पार्टी के कई नेता अब खुल कर उनके खिलाफ बोलने लगे हैं।
चार साल सब मौन रहे
रिपब्लिकन पार्टी के समर्थक वर्ग में ट्रंप की भारी लोकप्रियता के कारण चार साल तक पार्टी के अंदर उनके खिलाफ कोई सुगबुगाहट नहीं होती थी। पार्टी महाभियोग मामले में भी उनके पक्ष में बिल्कुल दलगत आधार पर एकजुट हो गई थी। इसके अलावा राष्ट्रपति के कई कदमों का पार्टी नेताओं ने भी समर्थन किया जिन्हें आम व्यवहार के खिलाफ समझा गया।
चुनाव में धांधली के आरोप से बनाई दूरी
हालात बदलते ही अब चुनाव में धांधली होने के ट्रंप के आरोप को लेकर पार्टी नेता उनसे दूरी बनाते नजर आ रहे हैं। मसलन, मैरीलैंड राज्य के गवर्नर लैरी हॉगन ने चुनाव प्रणाली पर ट्रंप के आक्षेप को बहुत परेशान करने वाला व्यवहार बताया तो 2012 में रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रहे मिट रॉमनी ने इसे गैर-जिम्मेदाराना कहा।

ट्रंप को कमजोर मानना जल्दबाजी
कई विश्लेषकों ने आगाह किया है कि ये मानना भी जल्दबाजी होगी कि ट्रंप कमजोर हो गए हैं। दरअसल, ताजा चुनाव की एक अहम कहानी यह है कि तमाम अनुमानों को झुठलाते हुए उन्होंने अपने समर्थन आधार का विस्तार किया।
उन्हें सात करोड़ से ज्यादा वोट मिले। यह उनके किए राजनीतिक और सामाजिक ध्रुवीकरण का ही नतीजा है कि रिपब्लिकन पार्टी सीनेट के चुनाव में मुकाबले में बनी रही। हाउस ऑफ रिप्रजेटेंटिव के चुनाव में तो उसने पहले से पांच सीटें ज्यादा हासिल की हैं।
मजबूती शख्सियत बने रहेंगे
इस बीच ये चर्चा भी है कि अगर ट्रंप कानूनी लड़ाइयों में भी विफल हो जाते हैं और आखिरकार उन्हें राष्ट्रपति पद छोडऩा पड़ता है, तब भी वह राजनीति में एक मजबूत शख्सियत बने रहेंगे। 2024 के चुनाव में वे या उनकी विरासत संभालने वाला नेता ही पार्टी का नेतृत्व करेगा।
उनकी विरासत संभालने वालों में जिन नामों की चर्चा है, उनमें सीनेटर टेड क्रुज, सीनेटर टॉम कॉटन और फ्लोरिडा राज्य के गवर्नर रॉन डिसैंतिस शामिल हैं। एक चर्चा यह भी है कि ट्रंप के बेटे डॉनल्ड ट्रंप जूनियर या एरिक ट्रंप भी अपने दांव आजमा सकते हैं।