
अंकारा। संयुक्त राष्ट्र महासभा में तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने एक बार फिर कश्मीर मुद्दे को उठाया। राष्ट्रपति के बयान पर भारत ने आपत्ति जताई है। भारत के प्रतिनिधि टीएस त्रिमूर्ति ने कहा है कि यह भारत के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप है और यह भारत के लिए पूरी तरह से अस्वीकार्य है। तुर्की को दूसरे देश की संप्रभुता का सम्मान करना सीखना चाहिए।
टीएस त्रिमूर्ति ने ट्वीट कर कहा कि हमने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर को लेकर तुर्की के राष्ट्रपति की ओर से किए गए बयान को देखा है, यह भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप है और ये स्वीकार नहीं किया जा सकता। उच्च स्तरीय संयुक्त राष्ट्र महासभा के दूसरे दिन तुर्की के राष्ट्रपति ने जम्मू-कश्मीर को लेकर एक बयान जारी किया था।
राष्ट्रपति एर्दोआन ने कहा कि कश्मीर संघर्ष दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता के लिहाज से काफी अहम है। यह अब भी एक ज्वलंत मुद्दा है। जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद से स्थिति और जटिल हो गई है। इसके अलावा तुर्की के राष्ट्रपति ने कहा कि हम कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए तैयार हैं।

राष्ट्रपति एर्दोआन ने पहले से रिकॉर्डेड बयान में कहा कि संयुक्त राष्ट्र की ओर से बनाए गए फ्रेमवर्क के तहत इस मुद्दे को बातचीत के जरिए सुलाझाया जा सकता है। एर्दोआन ने कहा कि विशेषतौर पर कश्मीर के लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरा जा सकता है।
पिछले एक साल से पाकिस्तान के साथ मिलकर तुर्की ने कई स्थानों पर जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को उठाया है। हालांकि हर बार भारत ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का एक अहम हिस्सा है और इसे आंतरिक तौर पर ही सुलझाया जा सकता है।
जम्मू-कश्मीर को दिए गए बयान पर भारत ने तुर्की को जवाब दिया और सलाह देते हुए कहा कि तुर्की को भारत के आंतरिक मामलों में बोलने से बचना चाहिए और डेमोक्रेटिक पार्टियों की समझ को औऱ विकसित करना चाहिए।