
अहोई अष्टमी का व्रत महिलाएं अपनी संतान के लिए रखती हैं। इस व्रत में महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र की कामना करते हुए उपवास करती हैं। इस व्रत को कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन मनाया जाता है। इस साल यह 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस व्रत में अहोई माता की पूजा की जाती है और संतान की लंबी उम्र के लिए महिलाएं निर्जला उपवास करती हैं और रात को तारों को देखकर उपवास खोला जाता है।
इस दिन महिलाएं अहोई माता की पूजा करती हैं, कथा पाठ करती हैं और भोग लगाती हैं। भोग में गुलगुलों का खास महत्व है। गुलगुले एक मीठा व्यंजन है, जो काफी मुलायम और स्वादिष्ट होता है। इसे और भी खास अवसरों पर बना सकते हैं, लेकिन अहोई अष्टमी पर गुलगुले बनाने का खास महत्व है। इन्हें अहोई माता को भोग लगाया जाता है और फिर प्रसाद के रूप में भी बांटा जाता है। अहोई अष्टमी के खास मौके पर अगर आप भी गुलगुले बनाना चाहते हैं, तो आपको बस ये आसान रेसिपी फॉलो करनी है। इस रेसिपी की मदद से आप आसानी से मुलायम और स्वादिष्ट गुलगुले बना सकते हैं। आइए जानें इसकी रेसिपी।
गुलगुले बनाने की सामग्री

2 चम्मच गेहूं का आटा
आधा कप गुड़
1 कप पानी
आधा चम्मच बेकिंग सोडा
आधा चम्मच सौंफ (कुटी हुई)
आधा चम्मच इलायची पाउडर
तेल (तलने के लिए)्र
गुलगुले बनाने की विधि
गुड़ घोलें- सबसे पहले एक बड़े बर्तन में आधा कप गुड़ और आधा कप पानी लें। गुड़ को पानी में अच्छी तरह घोल लें।
सामग्री मिलाएं- अब इस घोल में डेढ़ कप गेहूं का आटा, आधा चम्मच कुटी हुई सौंफ, चौथाई चम्मच इलायची पाउडर और चौथाई चम्मच बेकिंग सोडा डालें। सभी चीजों को अच्छी तरह मिला लें।
पानी डालें और फेंटें- अब इसमें आधा कप और पानी डालें और फिर से अच्छी तरह फेंटें। बैटर को तब तक फेंटें जब तक कि वह स्मूद न हो जाए। ध्यान दें कि बैटर ज्यादा गाढ़ा न हो, न ही ज्यादा पतला हो।
ढककर रखें- तैयार बैटर को ढककर कम से कम 30 मिनट के लिए रख दें। इससे बैटर में खमीर बनेंगे और गुलगुले नरम बनेंगे।
तलें- 30 मिनट बाद, बैटर को फिर से थोड़ा-सा फेंट लें। अब एक कड़ाही में तेल गरम करें। गर्म तेल में चम्मच से छोटे-छोटे गोल आकार में बैटर डालें। सुनहरा होने तक दोनों तरफ से गुलगुले को तल लें।
इन बातों का रखें ध्यान
गुलगुले को तलते समय ध्यान रखें कि तेल बहुत ज्यादा गरम न हो।
आप चाहें तो गुलगुले को मीठे दही या गुड़ की चाशनी के साथ सर्व कर सकते हैं।
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