एआई से बनेगी अपराध रोकने की सटीक रणनीति : अमित शाह

केंद्रीय गृह व सहकारिता मंत्री अमित शाह
केंद्रीय गृह व सहकारिता मंत्री अमित शाह

नई दिल्ली। अगले एक-दो सालों में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) का इस्तेमाल कर अपराध पर कारगर रोक लगाने की रणनीति बनेगी। सीसीटीएनएस, ई-प्रीजन, ई-कोर्ट, ई-प्रोसेक्यूशन, ई-फारेंसिक और अपराधियों के फिंगरप्रिंट के डाटा बड़े पैमाने पर उपलब्ध होने की जानकारी देते हुए केंद्रीय गृह व सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि इस डाटा का इस्तेमाल एआइ के सहारे अपराध रोकने की रणनीति बनाने में की जाएगी। इसके साथ ही उन्होंने तीन नए आपराधिक कानूनों के लागू होने के बाद सजा दर में हुई बढ़ोतरी का हवाला देते हुए आने वाले समय में सही मायने में कानून का शासन लागू होने का भरोसा जताया।

नए कानून से सजा की दर 30 फीसदी बढ़ी

नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित अखिल भारतीय न्यायालयिक विज्ञान सम्मेलन को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि अभी देश में सजा की दर 54 फीसद है, यानी लगभग आधे आरोपी अदालत से छूट जाते हैं। उन्होंने कहा कि नए आपराधिक कानूनों के लागू होने के बाद न सिर्फ त्वरित न्याय मिलने लगा है, बल्कि सजा की दर भी 30 फीसद बढ़ गई है।

भारत में सजा की दर दुनिया में सबसे अच्छी होगी

उन्होंने कहा कि सरकार की कोशिश सजा की दर में 40 फीसद की बढ़ोतरी करने की है। यह फारेंसिक की मदद के बिना नहीं हो पाएगा। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में भारत में सजा की दर दुनिया में सबसे अच्छी होगी। अमित शाह ने कहा कि नए आपराधिक कानूनों में सात साल से अधिक सजा के मामले की जांच के लिए लगभग 30 हजार फारेंसिक एक्सपर्ट की जरूरत का अनुमान है। लेकिन नेशनल फारेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी (एनएफएसयू) से हर साल 32 हजार फारेंसिक एक्सपर्ट पढ़कर निकलेंगे।

एनएफएसयू 10 नए परिसर स्थापित हो रहे हैं

उन्होंने कहा कि एनएफएसयू विभिन्न राज्यों सात परिसर चल रहे हैं और अगले छह महीने नौ नए शुरू हो जाएंगे। जबकि 10 और नए परिसर स्थापित करने की योजना है। शाह ने कहा कि आरोपी और फरियादी दोनों के साथ अन्याय नहीं हो, इसके लिए फारेंसिक साइंस को आपराधिक न्याय प्रणाली का अहम हिस्सा बनाना जरूरी है। अमित शाह ने कहा कि देश में सीसीटीएनएस के तहत 100 फीसद थानों में ऑनलाइन एफआईआर दर्ज करने की सुविधा है। इसके तहत 14 करोड़ 19 लाख एफआईआर और उससे जुड़े दस्तावेज ऑनलाइन उपलब्ध हैं।

22 हजार अदालतें ई-कोर्ट से जुड़ चुकी हैं। दो करोड़ 19 लाख डाटा ई-प्रिजन का, 39 लाख केसों का ई-प्रोसेक्यूशन का डाटा, 39 लाख फारेंसिक साक्ष्य ई-फारेंसिक पर आनलाइन उपलब्ध है। इसके साथ नेशनल ऑटोमेटेड फिंगरप्रिंट आइडेनटिफिकेशन सिस्टम (नफीस) पर एक करोड़ 53 लाख आरोपितों के फिंगरप्रिंट और मानव तस्करों का डाटा भी ऑनलाइन हो गया है। उन्होंने कहा कि अलग-अलग उपलब्ध इन डाटा को आपस में जोड़ने और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के माध्यम से इसका विश्लेषण किया जाएगा, जिससे अपराध रोकने की सटीक रणनीति बनाने में मदद मिलेगी।