
अपनी रचनाएं सुनाएंगे युवा साहित्यकार महिया
जयपुर. युवा साहित्यकार एवं गायक देवीलाल महिया अपनी रचनाएं सुनाएंगे, इनमे कविताएँ और गीत शामिल है। आखर पोथी अंतर्गत यह कार्यक्रम 12 दिसंबर रविवार सुबह 11 बजे आयोजित होगा। इसमे उनकी पुस्तक अंतस रो ओळमों का भी विमोचन किया जाएगा। इस साहित्यिक कार्यक्रम में पुस्तक की प्रस्तावना आनंद हजारी पढेंगे और समीक्षा वरिष्ठ साहित्यकार कवि निशांत करेंगे। अध्यक्षता अरविंद आशिया करेंगे।
देवीलाल महिया वर्ष 2007 से लेखन और 2012 से गायन के क्षेत्र में है। इनकी पुस्तक अंतस रो ओळमो में 84 राजस्थानी कविताएं है। इन कविताओं में माटी की महक और ग्रामीण जनजीवन की चहक है। राजस्थानी जनजीवन के अंतर्गत घर परिवार के संबंध, सामाजिक लोकाचार, रोजी-रोटी के लिए परिश्रम, खेती-बाड़ी और किसान की मेहनत, तकनीक आने से जीवन में बदलाव, बालपन, मेला, समाज, लोगों के बीच आपसी प्रेम, पक्षी, जीवट, सपना, माटी, कविता, बिना भाषा के राजस्थान, ढाणी आदि है।
मूल रूप से बीकानेर जिले के और पाली जिले के देसूरी स्थित विद्युत विभाग में कार्यरत महिया ने अपनी मधुर आवाज में मायड़ री पीड़ नाम से राजस्थानी गीत भी गाया है। इस गीत में राजस्थानी भाषा को मान्यता नहीं मिलने की पीड़ा और उपेक्षा को उजागर किया है। इसी तरह हरित राजस्थान और अन्य गीत भी गाए है।

अनेक पत्र-पत्रिकाओं में आपकी कविताएं भी प्रकाशित हुई है। कार्यक्रम अध्यक्ष साहित्यकार अरविंद आशिया उदयपुर निवासी है और मेवाड़ में राजस्थानी भाषा साहित्य सृजन को प्रोत्साहित करते है। वह राजस्थानी भाषा साहित्य व संस्कृति अकादमी बीकानेर से पुरस्कृत है। इनके रचना संसार में कथा 2, काबरचीतरा, कांकिड़ी, कचनार, निश्चय, जातरा, वातायन आदि है। साथ ही कामना महिला स्वास्थ्य पत्रिका का कई वर्ष तक संपादन भी किया है।
वह केंद्रीय साहित्य अकादमी नई दिल्ली के वर्ष 2008 से 2012 तक राजस्थानी भाषा के एडवाइजरी बोर्ड सदस्य रहे है। वरिष्ठ साहित्यकार निशांत पीलीबंगा निवासी है और पिछले कई दशक से साहित्य में सृजनरत है। पंजाब के गांव मौजगढ़ में जन्मे निशांत ने 36 वर्ष तक अध्यापन किया है। इनकी प्रमुख रचनाओं में झुलसा हुआ मैं, समय बहुत कम है, खुश हुए हम भी, बात तो है जब, मृत्यु भय, जिंदगी के टेडे मोड़, शौक भगवान बनने का, पांच बाल कहानियां, आसोज मांय मेह आदि है।
कार्यक्रम में प्रस्तावना पढ़ने वाले आनंद हजारी कोटा निवासी है। वर्ष 1987 से ही आकाशवाणी कोटा से 1987 में ही निरंतर गीत, कविताओं का निरंतर प्रसारत होता रहा है। जागती जोत एवं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में समय समय पर गीतों और कविताओं का प्रकाशन हो चुका है। उन्हें आर्यावर्त संघ उदयपुर की ओर से भारतीपुत्र सम्मान, जय सुदर्शन सेवा समिति, आदर्श नवयुवक मंडल, जुपीटर ईको क्लब कोटा आदि की ओर से सम्मानित भी किया जा चुका है।