
वाराणसी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डा. मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि भारतीयों की पूजा पद्धतियां भले ही अलग-अलग हों, लेकिन संस्कृति एक है। किन्ही परिस्थितियों में अखंड भारत से कुछ लोग अलग हुए। आज उनकी क्या दशा है, यह किसी से छिपी नहीं है। वे लोग आज हमारे साथ होते तो उनकी यह दशा नहीं होती। उनका इशारा पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान में चल रही अस्थिरता की ओर था। उन्होंने कहा कि हमें किसी से परहेज नहीं है। हम मुसलमानों को भी अपना समझते हैं और सभी को राष्ट्र निर्माण में साथ लेकर चलना चाहते हैं। सभी पंथ, संप्रदाय, जाति के लोगों का संघ की शाखा में स्वागत है। शर्त केवल यही है कि उन्हें भारत माता की जय बोलना होगा और भगवा ध्वज के प्रति सम्मान जताना होगा।
स्वयं को औरंगजेब का वंशज न मानने वाले प्रत्येक भारतीय का संघ और शाखा में स्वागत है। लाजपत नगर पार्क में आयोजित विचार परिवार (प्रताप) शाखा में भागवत लोगों की जिज्ञासाओं का उत्तर दे रहे थे। उन्होंने भारत को विश्व गुरु बनाने का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए सामूहिक रूप से कार्य करने पर जोर दिया। रामनवमी के अवसर पर पार्क में नीम का एक पौधा रोपा और उसका पूजन किया। संघ प्रमुख की उपस्थिति में स्वयंसेवकों ने प्रार्थना योग किया। भागवत ने एक परिवार के यहां चाय के साथ टोली बैठक भी की। एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि सिर्फ डिग्री लेने से कोई सर्वश्रेष्ठ नहीं हो जाता। बहुत सारे लोग डिग्री लेकर भी कुछ विशेष नहीं कर पाते।
कम पढ़े-लिखे लोग अपनी मेहनत और सक्रियता से समाज में ऊंचा मुकाम हासिल करते हैं। इसलिए समाज में सफाईकर्मी व राष्ट्रपति को एक समान महत्व देना चाहिए। दोनों का काम महत्वपूर्ण है। बांग्लादेश में हिंदुओं की दुर्दशा पर कहा कि आप आगे बढ़िए, हम भी चलने को तैयार हैं। संघ में पैसे के लेनदेन को लेकर पूछे गए प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि आप निस्वार्थ होकर यहां आएं। स्वार्थ के साथ आना है तो मत आइए। इस विचार परिवार शाखा में डा. हेमंत गुप्ता, रमेश, विरेंद्र जायसवाल समेत संघ परिवार सेवा भारती, भाजपा, भारत विकास परिषद आदि से जुड़े 100 से अधिक स्वयंसेवकों ने भाग लिया।