अरब देश भी गा रहे ‘नारायण, नारायण’, इसीलिए तो सब कहते हैं मोदी है तो मुमकिन है

मोदी
मोदी

खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि प्रधानमंत्री का यूएई और कतर दौरा भारत के लिए कितना महत्वपूर्ण है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनावों से पहले संभवतः प्रधानमंत्री का यह अंतिम महत्वपूर्ण विदेशी दौरा है और वर्तमान में जिस तरह के वैश्विक हालात हैं उसको देखते हुए इन दौरों की काफी महत्ता है।

उन्होंने कहा कि मोदी के आने से पहले 20 साल तक कोई भारतीय प्रधानमंत्री यूएई नहीं गया था। 2015 में मोदी ने प्रधानमंत्री के रूप में यूएई का पहला दौरा किया और उसके बाद वह अब तक सात बार वहां जा चुके हैं इसी तरह यूएई के राष्ट्रपति भी मोदी के कार्यकाल में पांच बार भारत आ चुके हैं जो दर्शाता है कि दोनों देशों के संबंध किस मजबूती के साथ आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी ने भारत-यूएई दोस्ती जिंदाबाद का नारा लगवा कर इस दोस्ती को और प्रगाढ़ करने का संदेश भी भारतीयों को दे दिया है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के दौरान द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के लिए भारत और संयुक्त अरब अमीरात ने ऊर्जा, बुनियादी ढांचे, निवेश तथा अभिलेखागार के प्रबंधन जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग के लिए 10 समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार पहले से ही 85 अरब अमेरिकी डॉलर के करीब है। उन्होंने कहा कि यूएई भारतीय अर्थव्यवस्था में चौथा सबसे बड़ा निवेशक है। उन्होंने कहा कि जिस तरह संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने बड़ी ही गर्मजोशी से मंगलवार को प्रधानमंत्री का स्वागत किया वह दर्शाता है कि दोनों नेताओं के व्यक्तिगत संबंध भी कितने मजबूत हैं।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि सामरिक और व्यापारिक दृष्टि से यह दौरा काफी अहम था। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के नेताओं ने विस्तृत प्रतिनिधिमंडल स्तर पर और प्रत्यक्ष वार्ता की जिसमें भारत तथा संयुक्त अरब अमीरात के बीच द्विपक्षीय संबंधों के साथ-साथ क्षेत्रीय व वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण विकास के पहलू शामिल थे। 10 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए जो विभिन्न क्षेत्रों में भारत तथा संयुक्त अरब अमीरात के बीच संबंधों का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने कहा कि पहला समझौता ज्ञापन, जिस पर हस्ताक्षर किए गए, वह बिजली संपर्क और व्यापार के क्षेत्र में सहयोग से जुड़ा था। इस विशेष एमओयू का मकसद दो महत्वपूर्ण क्षेत्रों में हमारी साझेदारी को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करना है, एक ऊर्जा सुरक्षा से संबंधित और दूसरा ऊर्जा व्यापार से संबंधित है। स्वच्छ ऊर्जा व्यापार इस समझौता ज्ञापन का एक महत्वपूर्ण खंड है। उन्होंने कहा कि यह स्वाभाविक रूप से हरित हाइड्रोजन और ऊर्जा भंडारण पर भी ध्यान केंद्रित करेगा।