आर्ट टॉक सीरीज: कलाकार आशीमा कुमार ने जेकेके की महानिदेशक के साथ की चर्चा

Art talk series artist Ashima Kumar discusses JKK with director general
Art talk series artist Ashima Kumar discusses JKK with director general

जेकेके के साप्ताहिक आर्ट टॉक सीरीज के तहत बुधवार को ‘एक्सप्रेसिंग विद डूडल आर्ट’ विषय पर लंदन निवासी कलाकार आशीमा कुमार ने जेकेके महानिदेशक किरण सोनी गुप्ता के साथ चर्चा की।

  • साप्ताहिक आर्ट टॉक सीरीज के तहत
  • गुरुवार, 4 जून को ‘फोक डांस’ सेशन का संचालन करेंगी अनिता प्रधान
  • लंदन से कलाकार ने ‘एक्सप्रेसिंग विद डूडल आर्ट’ पर की ऑनलाइन टॉक

जयपुर। जवाहर कला केंद्र (जेकेके) के साप्ताहिक आर्ट टॉक सीरीज के तहत बुधवार को ‘एक्सप्रेसिंग विद डूडल आर्ट’ विषय पर लंदन निवासी कलाकार आशीमा कुमार ने जेकेके महानिदेशक किरण सोनी गुप्ता के साथ चर्चा की। सेशन के दौरान आशीमा ने डूडल आर्टिस्ट बनने की अपनी जर्नी साझा की। उन्होंने कैसे डूडल आर्ट पर काम करना शुरू किया और कैसे  डूडलिंग से बड़ी पेंटिंग बनाई। इस दौरान कलाकार ने लंदन आर्ट बाजार और कला परिदृश्यों पर भी चर्चा की।

आर्ट टॉक सीरीज साप्ताहिक के तहत लंदन निवासी कलाकार आशीमा कुमार ने जेकेके महानिदेशक किरण सोनी गुप्ता के साथ चर्चा की।

उन्होंने कहा कि डूडल आर्ट वर्क बहुत दिलचस्प और पेचीदा हैं, क्योंकि इसका हर सेक्शन अलग है। जब सभी सेक्शन संयोजित होते हैं तो वे मिलकर  कहानी प्रस्तुत करते हैं। इन कलाकृतियों का गहन विश्लेषण कलाकार के अवचेतन मन की स्थिति प्रस्तुत करती हैं।

कलाकार आशीमा ने डूडल आर्ट को वियरेबल आर्ट में बदलने के बारे बताते हुए कहा कि आर्ट पीस बहुत महंगे होते हैं और हर कोई उन्हें अपने घर में रखने में सक्षम नहीं होता।

यह भी पढ़ें- जेकेके में वर्चुअल एग्जीबिशन ‘आर्ट्स ऑफ इंडियन ट्राइब्स’ शुरू

कलाकार और दर्शक दोनों के लिए यह कला थैरेपी के समान है। किसी आर्टवर्क को  पहनने योग्य एक्सेसरी जैसे कि स्कार्फ  में प्रस्तुत करना व्यक्ति के लुक को और भी आकर्षक बना सकता है, जैसे  कलाकृति किसी दीवार को खूबसूरत बनाती है। वियरेबल आर्ट कलाकृति को सार्थक रूप से संरक्षित करने का कार्य करती है जिसे अगली पीढ़ियों तक आगे पहुंचाया जा सकता है।

उन्होंने आगे कहा कि डूडल आर्ट इनफो-डूडल भी हो सकता है जिससे किसी संगठन में संदेश प्रसारित किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर किसी मेडिकल कॉन्सेप्ट को समझाने के लिए।  डूडल आर्ट की अनेक तकनीक हैं। यह न केवल पारंपरिक स्वरूप का प्रतिनिधित्व करता है, बल्कि वर्तमान पीढ़ी को भी जोड़ता है।

इस कला स्वरूप में बिना लोक कला को बदले कंटेम्पररी स्वरूप के अनुकूल की क्षमता भी है, जिससे इसकी स्वीकार्यता बढाती है और इन कलाकृति को व्यापक दर्शकों तक पहुंचने के लिए सक्षम बनाती है।

इस अवसर पर महानिदेशक श्रीमती गुप्ता ने कहा कि कोरोना समय विश्वभर में बहुत चुनौती पूर्ण रहा है। कला बाजार पर विशेषकर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है। अपनी कलाकृति को बाजार में नहीं ला पाने के कारण कलाकारों में निराश है। हालांकि, एक सकारात्मक पहलू यह भी है कि, इस समय ऑनलाइन अर्ट एक्टिविटीज में वृद्धि हुई है।

यह भी पढ़ें- जेकेके में प्रतिभागियों ने सीखी ‘जयपुर कथक घराने’ की बारीकियां

इनमें ऑनलाइन आर्ट एग्जीबिशन्स, आर्ट चैलेंजेस के साथ ही आर्ट संस्थानों और गैलेरीज की प्रतियोगिताएं शामिल हैं। इन ऑनलाइन एक्टीविटीज का उद्देश्य कलाकारों को अपनी कलाकृति साझा करने के लिए प्रोत्साहित करना और इनसे समाज में प्रभाव उत्पन्न करना है।

गुरुवार, 4 जून का कार्यक्रम

गुरुवार, 4 जून को, शाम 5 बजे से 6 बजे तक डांसर अनिता प्रधान ‘फोक डांस’ सेशन का संचालन करेंगी। इस सेशन में राजस्थान की लोक संस्कृति और विरासत का परिचय दिया जाएगा। यह सेशन पैर और हाथों के मूवमेंट, चेहरे के भाव सहित लोक नृत्य से जुड़ी अन्य मूल तकनीक को समझाने पर भी केंद्रित रहेगा।