अशोक गहलोत का बयान: सरकार पर जनता के बोलने पर रोक का आरोप

अशोक गहलोत
अशोक गहलोत

जयपुर। पूर्व मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत ने भारतीय जनता पार्टी द्वारा आपातकाल दिवस को संविधान हत्या दिवस मनाए जाने पर तंंज कसते हुए कहा है क‍ि भारत में आज जो हालात हैं, उसे सिर्फ दो शब्दों में बयान किया जा सकता है “अघोषित आपातकाल”। क्योंकि अभी ना संविधान सस्पेंड किया गया है, ना राष्ट्रपति ने घोषणा की है, लेकिन जनता के हक, बोलने की आज़ादी, और विपक्ष की आवाज़ दबाने का प्रयास लगातार जारी है।

अशोक गहलोत ने गुरुवार को सोशल मीडिया प्‍लेटफार्म एक्‍स पर पोस्‍ट करते हुए आरोप लगाया क‍िभाजपा सरकारों द्वारा संविधान हत्या दिवस मनाना ऐसा है जैसा किसी बेईमान व्यक्ति का ईमानदारी पर ज्ञान देना। इस देश में यदि लोकतंत्र का सबसे ज्यादा ह्रास हुआ है तो वह पिछले 11 सालों में हुआ है।

उन्‍होंने कहा क‍ि आज स्थिति ऐसी है कि पत्रकार अगर सवाल पूछे तो देशद्रोही, छात्र अगर विरोध करें तो आतंकवादी, विपक्षी नेता अगर सरकार का विरोध करें तो ईडी का शिकार। क्या यही है भाजपा सरकार के लोकतंत्र का नया मॉडल? असल में लोकतंत्र की हत्या यही है।

स्वतंत्र मीडिया चैनलों को चुप कराना, सिद्धीक़ कप्पन जैसे पत्रकारों पर एफआईआर कर रिपोर्टिंग के लिए उन्हें सालों तक जेल में डालना, ये सब प्रेस की आज़ादी का गला घोंटना नहीं तो और क्या है? आज विपक्ष का कोई नेता सरकार पर आरोप लगाता है तो उसे नहीं दिखाया जाता परन्तु सरकार की उन आरोपों पर प्रतिक्रिया आए तो उसे प्रमुखता से दिखाकर उन आरोपों को ही गलत साबित करने का प्रयास मीडिया के माध्यम से किया जाता है।

उन्‍होंने दावा किया क‍ि इमरजेंसी के दौरान किसी भी मुख्यमंत्री को गिरफ़्तार नहीं किया गया था और न ही किसी की संसद सदस्यता रद्द की गई थी परन्तु भाजपा सरकार में झारखंड के मुख्यमंत्री, दिल्ली के मुख्यमंत्री को जेल में डाल दिया गया। राहुल गांधी की सदस्यता रद्द कर दी गई।

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