होली पर अस्थमा व एलर्जी रोगियों को अधिक सावधानियां बरतने की जरुरत

जयपुर। भारत में कोई भी त्यौहार हो यहां के लोग इसे खुशी और उत्साह के साथ मनाते हैं। इन्ही त्यौहार में से एक है होली। इस साल भी होली का पूरे देश में हर्ष और उमंग के साथ मनाया जाएगा। वैसे तो अब लोग समझने लगें हैं, लेकिन फिर भी होली पर केमिकल युक्त गुलाल, रंग लगाने से लोगों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है और खासकर उन लोगों को ज्यादा परेशानी हो सकती है जो अस्थमा व एलर्जी जैसी गंभीर बिमारी से पीडि़त है, इसलिए ऐसे मरीजों को होली पर खास ध्यान रखने की जरुरत होती है। डॉ. त्रिवेणी ढाका, कंसलटेंट प्लास्टिक और कॉस्मेटिक सर्जरी, मणिपाल हॉस्पिटल ने बताया कि होली पर अस्थमा व एलर्जी से पीडि़त मरीज हर्बल और नेचुरल कलर का इस्तेमाल करें और अपने आप को हाइड्रेटेड रखे। किसी भी तरह की स्कीन केयर जैसे फेशियल, वैक्सीन और थ्रेडिंग आदि से दूर रहें। अपनी त्वचा की देखभाल के लिए आंखों के नीचे और उंगलियों के बीत में थोड़ा हल्का मॉइस्चराइजर का उपयोग करें, 30-50 एस.पी.एफ. वाली सन्सक्रीम का इस्तेमाल करें, बलों में नारियल और बादाम के तेल का उपयोग करें, अपनी होठों, आंखों और पलको पर पेट्रोलियम जेली का इस्तेमाल करें और अपने पूरे शरीर को कवर करने के लिए डार्क कलर के कपड़े पहने।

वहीं होली खेलने के बाद रंगों को हटाने के लिए ठंडे पानी से नहाएं, केमिकल युक्त कठोर साबून का इस्तेमाल न करें, नहाने के तुरंत बाद मॉइस्चराइजर का इस्तेमाल करें, सन प्रोटेक्शन का इस्तेमाल करें और हां अगर स्कीन से संबंधित किसी भी तरह की परेशानी आएं तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श औऱ उपचार लें। डॉ. नलिन जोशी, प्रोफेसर, श्वसन विभाग, निम्स हॉस्पिटल ने बताया कि वैसे तो देखा जाए तो होली से पहले जो मौसम में बदलाव होते है वो भी अस्थमा व एलर्जी के मरीजों के लिए परेशानी बनते हैं। क्योंकि आती हुई सर्दी और जाती हुई सर्दी मरीजों को काफी नुकसान पहुंचा सकती है।

जिसके कारण काफी संख्या में रोगियों को अस्पताल में भर्ती होकर उपचार कराना पड़ता है। वहीं होली में केमिकल युक्त रंगों के कारण अस्थमा व एलर्जी के मरीजों की तकलीफ और अधिक बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि अस्थमा व एलर्जी के मरीजों होली पर विशेष तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए, जिससे उन्हे अस्पताल का रुख न करना पड़े।

एलर्जी पीडि़तों को अस्थमा का 40 फिसदी खतरा ज्यादा:-डॉ. आर.सी. मीणा, प्रोफेसर और एचओडी श्वसन विभाग, निम्स हॉस्पिटल ने बताया कि कई पदार्थ जैसे परागकण, धूल, पशुओं की मृत त्वचा व जंगली घास एलर्जी को बढ़ावा दे सकते हैं। कुछ लोगों में फूड एलर्जी से भी अस्थमा अटैक हो जाता है। शरीर प्रतिक्रिया तब देता है, जब हमारा इम्यून सिस्टम किसी हानिरहित पदार्थ जैसे खाने की चीजों, दवाइयों, रसायनों या परागकण को आक्रमणकारी समझ लेता है। इस दौरान हमारे इम्यून सिस्टम से जो रसायन निकलते हैं, उनके कारण एलर्जी के लक्षण नजर आते हैं। इन लक्षणों में नाक का बंद हो जाना, नाक बहना, आंखों में खुजली होना या त्वचा पर रैशेज पड़ जाना है। एलर्जिक अस्थमा को आनुवांशिक बीमारी भी माना जाता है। अगर आपको एलर्जिक अस्थमा नहीं है, सिर्फ एलर्जी है तो अस्थमा होने का खतरा 40 प्रतिशत तक बढ़ जाता है।