
नौ दिन होगी मां की आराधना, बाजारों में छाई रौनक
जयपुर। शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर से प्रारंभ होंगे। इस बार देवी दुर्गा हाथी पर सवार होकर के आएंगी। हाथी को बहुत ही शुभ माना गया है। हाथी को समृद्धि और ज्ञान का कारक माना गया है, इसलिए ऐसी मान्यता है तो काफी वर्षा होती है और समृद्धि आती है। देश में ज्ञान-विज्ञान की भी वृद्धि होती है। लोगों में सुख-समृद्धि बढ़ती है।

ज्योतिषाचार्य पंडित बंशी लाल शास्त्री ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि देवी दुर्गा ने आश्विन मास के महीने में महिषासुर राक्षस पर आक्रमण करके उससे 9 दिन तक युद्ध किया था। दसवें दिन उसका वध किया था, इसलिए इन नौ दिन को शक्ति की आराधना के लिए समर्पित कर दिया। आश्विन मास में शरद ऋतु का प्रारंभ भी हो जाता है, इसलिए इसे शारदीय नवरात्र भी कहा जाता है। मान्यता है कि चैत्र नवरात्रि की साधना आपको मानसिक रूप से मजबूत करती हैं और आध्यात्मिक इच्छाओं की पूर्ति करती है। शारदीय नवरात्रि सांसारिक इच्छाओं को पूर्ण करने वाली मानी जाती है। नवरात्रि में दुर्गा देवी के नौ रूपों की अलग-अलग पूजा करने का विधान है।
यह रहेगा मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि शारदीय नवरात्रि आश्विन मास शुक्ल पक्ष प्रतिपदा 15 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि का आरंभ हो रहा है। देवी पुराण में द्विस्वभाव लग्न युक्त प्रात: काल में देवी का आह्वान और घट स्थापना पूजन करने का विधान है। प्रतिपदा तिथि के दिन चित्रा नक्षत्र और वेघृति योग को वर्जित बताया गया है परंतु अभिजित्त मुहूर्त में घट स्थापना करने के शास्त्र निर्देश हैं। दूसरा विष्णु पुराण के वाक्य के अनुसार सूर्योदय से लेकर के 10 घटी तक स्थापना व आरोहण आदि कर्मों में प्रात: काल माना गया है परंतु संवत 2080 में प्रात: काल के समय चित्रा नक्षत्र और वेघृति योग विद्यमान है। जब वेघृति योग व चित्रा नक्षत्र आदि दोष से रहित प्रतिपदा नहीं मिले तथा संपूर्ण दिन चित्रा नक्षत्र और व वेघृति योग होने से संवत 2080 में 15 अक्टूबर को घट स्थापना अभिजित काल प्रात: 11.50 से 12.35 तक रहेगा, उसमें करनी चाहिए। चित्रा नक्षत्र शाम 6.12 तक और वेघृति योग प्रात: 10.23 तक रहेगा। अत: घट स्थापना के लिए अभिजित मुहूर्त ही उपयुक्त और शुभ रहेगा।
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