
एक्सपर्टस के मुताबिक बिक्री में 15-20 फीसदी तेजी रहने की उम्मीद
हिंदू कैलेंडर में हर तीन साल में एक बार एक अतिरिक्त माह का प्राकट्य होता है, जिसे अधिकमास, मल मास या पुरुषोत्तम मास के नाम से जाना जाता है। हिंदू धर्म में इस माह का विशेष महत्व है। संपूर्ण हिंदू धर्मावलंबी इस पूरे मास में पूजा-पाठ, भगवतभक्ति, व्रत-उपवास, जप और योग आदि धार्मिक कार्यों में लीन रहती है। आश्विन मास होने से इस अधिक मास का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। किसी काम का समापन नहीं करना चाहिए। मांगलिक कार्यों जैसे विवाह, मुंडन, गृहप्रवेश और यज्ञोपवित आदि को छोड़ कर शेष सभी नैमित्तिक (किसी विशेष प्रयोजन के), काम्य (आवश्यक) और नित्य (रोज किए जाने वाले) कर्म किए जा सकते हैं।
अधिक मास ऑटो सेक्टर के लिए भी शुभ संकेत दे रहा है। इस दौरान दो पहिया वाहन यानि मोटर साइकिल और स्कूटर के अलावा कार खरीदने के शुभ माना गया है
अधिक मास ऑटो सेक्टर (automobile) के लिए भी शुभ संकेत दे रहा है। इस दौरान दो पहिया वाहन यानि मोटर साइकिल और स्कूटर के अलावा कार खरीदने के शुभ माना गया है। यह एक संयोग है कि अधिक मास के साथ साथ 18 सितंबर से अंग्रेजी कलैंंडर का लीप ईयर भी शुरु हो रहा है।
अधिकतम मास और अंग्रेजी का लीप ईयर 160 साल बाद एक साथ आ रहे हैं। इसके बाद नवरात्र से दिवाली तक फस्टिवल सीजन शुरु हो जाएगा। जिससे बाजार में फिर से चमक आने की उम्मीद है। ऐसे में उम्मीद यह लगाई जा रही है कि अधिक मास ऑटो सेक्टर के लिए काफी शुभ साबित होगा।
हालांकि, अनलॉक शुरु होते ही ऑटो सेक्टर में तेजी से बूम आया है लेकिन, अधिक मास में गाड़ी खरीदने का शुभ समय ओर फेस्टिवल सीजन के चलते ऑटो बाजार के लिए ‘अच्छे दिन’ साबित होंगे, एक्सपर्टस के मुताबिक इस मास में मोटरसाइकिलों और कार की बिक्री में 15 से 20 फीसदी की तेजी देखने को मिलेगी।
हर तबके को छूट दे रही हैं कंपनियां
ऑटो सेक्टर की सभी कंपनियां आम से लेकर खास तक सभी तबके के ग्राहकों को हर तरह से छूट दे रही हैं। कोरोना वारियर्स चाहे वह डॉक्टर हों या पुलिस में, सभी को वह नए-नए ऑफर दे रही हैं साथ ही कार खरीदना आसान बनाने के लिए आसान डाउन पैमेंट के अलावा शुरुआती किश्तों में भी काफी छूट दे रही है।
कोरोना महामारी ने बदली सोच
कोरोना महामारी के दौरान लोगों में अपनी गाड़ी खरीदने की चाह बड़ी है, इसकी वजह यह है कि इस महामारी से बचने के लिए भी लोग अपने वाहन से सफर करने को बेहतर मान रहे हैं। घर से गाड़ी पर बैठकर गंतव्य तक खुद की गाड़ी तक जाने से वह काफी हद क भीड़ से बचेंगे और किसी अन्य संक्रमण की चपेट में आने की संभावना कम होगी। इस सोच ने भी लोगों को अपनी कार खरीदने के लिए प्रेरित किया है।
क्या कहते हैं एक्सपर्टस
ऑटो डीलर और ऑटो सेक्टर के एक्सपर्ट कहते हैं कि जहां तक उम्मीद है अब ऑटो बाजार के अच्छे दिन आने वाले हैं। अधिक मास के अलावा नवरात्र से लेकर दिवाली तक लोगों में कार खरीदने का क्रेज हम देखते आए हैं, लेकिन, कारोना के कारण लगे लॉकडाउन के बाद से लोगों में कार खरीदना हालांकि, एक सपने जैसा हो गया है। लेकिन, ऑटो कंपनियों ने अच्छे ऑफर डाउन पैमेंट से लेकर किश्तों को आसान बनाने वाली कई ऐसे ऑफर पेश किए हैं जिससे ग्राहकों को कार खरीदने में काफी आसानी होगी। ग्राहक एक बार इन ऑफर्स के जरिए खुद की कार लेने के लिए जरूर सोचेगा।
अधिक मास में क्या कर सकते हैं
- इस पूरे माह में व्रत, तीर्थ स्नान, भागवत पुराण, ग्रंथों का अध्ययन, विष्णु यज्ञ आदि किए जा सकते हैं। जो कार्य पहले शुरु किये जा चुके हैं उन्हें जारी रखा जा सकता है।
- संतान जन्म के कृत्य जैसे गर्भाधान, पुंसवन, सीमंत आदि संस्कार किये जा सकते हैं।
- अगर किसी मांगलिक कार्य की शुरुआत हो चुकी है तो उसे किया जा सकता है।
- विवाह नहीं हो सकता है लेकिन रिश्ते देख सकते हैं, रोका कर सकते है।
- गृह प्रवेश नहीं कर सकते हैं लेकिन नया मकान अगर लेना चाहें तो उसकी बुकिंग की जा सकती है, प्रॉपर्टी खरीदी जा सकती है।
- अगर कोई बड़ा सौदा करना हो तो टोकन देकर यानि बुकिंग की जा सकती है। फाइनल डील कोई मुहूर्त देखकर की जा सकती है।
अधिक मास में क्या नहीं करना चाहिए
इस माह में कोई प्राण-प्रतिष्ठा, स्थापना, विवाह, मुंडन, नववधु गृह प्रवेश, यज्ञोपवित, नामकरण, अष्टका श्राद्ध जैसे संस्कार व कर्म करने की मनाही है।
कब तक है अधिकमास
अधिकमास 18 सितंबर से शुरू हो रहा है और 16 अक्टूबर रहेगा। 17 अक्टूबर से शरदीय नवरात्रि का पर्व आरंभ हो जाएगा।
कैसे होती है अधिक मास की गणना
काल गणना के दो तरीके है। पहला सूर्य की गति से और दूसरा चंद्रमा की गति से। सौर वर्ष जहां सूर्य की गति पर आधारित है तो चंद्र वर्ष चंद्रमा की गति पर। सूर्य एक राशि को पार करने में 30.44 दिन का समय लेता है। इस प्रकार 12 राशियों को पार करने यानि सौर वर्ष पूरा करने में 365.25 दिन सूर्य को लगते हैं। वहीं चंद्रमा का एक वर्ष 354.36 दिन में पूरा हो जाता है। लगभग हर तीन साल (32 माह, 14 दिन, 4 घटी) बाद चंद्रमा के यह दिन लगभग एक माह के बराबर हो जाते हैं। इसलिए, ज्योतिषीय गणना को सही रखने के लिए तीन साल बाद चंद्रमास में एक अतिरिक्त माह जोड़ दिया जाता है। इसे ही अधिक मास कहा जाता है।
लीप ईयर में आश्विन अधिक मास 160 साल बाद
अंग्रेजी कैलेंडर में चार वर्ष में एक बार लीप ईयर आता है। लीप ईयर में फरवरी में 29 दिन होते हैं। हिंदू कैलेंडर में लीप ईयर नहीं होता, अधिक मास होता है। ये संयोग है कि 2020 में लीप ईयर एवं आश्विन अधिकमास दोनों एक साथ आए हैं। आश्विन का अधिकमास 19 साल पहले 2001 में आया था, लेकिन लीप ईयर के साथ अश्विन में अधिकमास 160 साल पहले 2 सितंबर 1860 को आया था।
अधिक मास को पुरषोत्तम मास क्यों कहते हैं?
पौराणिक कथाओं अनुसार मल होने के कारण कोई इस मास का स्वामी होना नही चाहता था, तब इस मास ने भगवान विष्णु से अपने उद्धार के संबंध में प्रार्थना कि तब स्वयं भगवान ने इसको अपना श्रेष्ठ नाम पुरषोत्तम प्रदान किया। ये आशीर्वाद दिया कि जो इस माह में भागवत कथा श्रवण, मनन, भगवान शंकर का पूजन, धार्मिक अनुष्ठान, दानादि करेगा वह अक्षय फल प्रदान करने वाला होंगा। इस माह में किया गया दान-पुण्य भी अक्षय फल देने वाला रहेगा।