तलाक से बचें, बच्चों पर पड़ता है बुरा असर, बचने के ये तरीके अपनाएंं, खुशियो से भर जाएगी जिंदगी

तलाक का बच्चों पर कैसे पड़ता है असर
तलाक का बच्चों पर कैसे पड़ता है असर

लव हो या अरेंज मैरिज तलाक के मामले आजकल दोनों ही तरह की शादियों में कॉमन हो गए हैं। ऋतिक रोशन-सुजैन खान, आमिर खान- रीना दत्ता, अरबाज- मलाइका…ऐसे और भी कुछ जाने-पहचाने नाम हैं जिनकी लव मैरिज थी, बच्चे थे, सालों से रिलेशनशिप था लेकिन एकदिन पता चलता है कि उनका तलाक हो गया। सेपरेशन का बुरा असर सिर्फ कपल्स पर ही नहीं पड़ता बल्कि इसका असर बच्चों पर भी पड़ता है। खुद से साथ बच्चों को भी संभालने की जरूरत होती है वरना वो तनाव, डिप्रेशन का शिकार हो सकते हैं।

उनकी फीलिंग्स को समझें

उनकी फीलिंग्स को समझें
उनकी फीलिंग्स को समझें

अगर बच्चे समझदार हैं, तो तलाक को लेकर वो बहुत ज्यादा सोचने लग जाते हैं। जिसके चलते हो सके उनके बिहेवियर में कई तरह के बदलाव देखने को मिलें, तो बजाय उन पर चिल्लाने और डांटने के, उनकी सिचुएशन समझने की कोशिश करें। खुद को उनकी जगह रखकर सोचें कि वो इस वक्त कैसा फील कर रहे हैं। इससे उन्हें हैंडल करना आसान होगा।

उनके साथ समय बिताएं

उनके साथ समय बिताएं
उनके साथ समय बिताएं

तलाक के बाद सिंगल पेरेंट के ऊपर बहुत ज्यादा जिम्मेदारियां आ जाती हैं, जिसे मैनेज करना कई बार बहुत मुश्किल हो जाता है, लेकिन यहां आपको समझदारी से सब्र से काम लेना होगा। बच्चे पर इसका बुरा असर न पड़े इसकेे लिए उसके साथ पहले से थोड़ा ज्यादा वक्त बिताएं। उसके साथ अलग-अलग एक्टिविटीज में भाग लें। इससे बच्चे बिजी रहेंगे, बहुत ज्यादा सोचेंगे नहीं। ऐसा करके आप उन्हें काफी हद तक सपोर्ट कर सकते हैं।

कोई भी डिसीजऩ थोपें नहीं

तलाक के बाद अगर बच्चा किसी एक पेरेंट को बहुत मिस कर रहा है, लेकिन आप अपने एक्स से नाराज हैं, उनसे किसी भी तरह की बातचीत नहीं करना चाहते, तो ये डिसीजऩ आपका है, इसे बच्चों पर थोंपने की कोशिश न करें। एक तो वैसे ही बच्चा दुखी है ऊपर से आपकी ये जबरदस्ती उसे और ज्यादा परेशान कर सकती है। अगर बच्चा थोड़ा वक्त अपने किसी एक पेरेंट्स के साथ बिताना चाहता है, तो इसके लिए उसे मना न करें। ये एक सही तरीका है बच्चे को हैंडल करने का। तलाक के बाद हो सके कपल्स खुद को फ्री फील करें, ज्यादा खुश रहें, अपनी मर्जी से लाइफ के डिसीजऩ ले सकें, लेकिन अगर आप एक पेरेंट हैं, तो तलाक के बाद आपको बच्चों की मानसिक स्थिति के बारे में भी सोचना चाहिए।

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