
गलियों का शहर बनारस देश ही नहीं, विदेश में काफी मशहूर है। इस शहर की हर एक बात बेहद खास है। यहां के गंगा घाट और गलियां तो दूर-दूर से लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करती ही है, साथ ही यहां का खानपान भी लोगों की जुबां को खूब भाता है। बनारस की लस्सी हो या कचौड़ी नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है। भारत के इस सबसे पुराने शहर में लस्सी और कचौड़ी का स्वाद चखने के लिए भी खास जगह मौजूद हैं। यूं तो यहां के हर एक व्यंजन का अपना अलग स्वाद होता है, लेकिन शहर की पहलवान लस्सी और चाची की कचौड़ी की बात ही अलग है। यह दोनों दुकानें लंबे समय से अपने इन मशहूर व्यंजनों के लिए जानी जाती रही है। बनारस पान के लिए ही नहीं ‘पहलवान लस्सी’ और ‘चाची की कचौड़ी’ के लिए जाना जाता है
गिर गई काशी की मशहूर दुकानें

हालांकि, बीते दिनों उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग ने नई फोर-लेन सडक़ बनाने के लिए लंका चौराहे के पास इन दो पसंदीदा दुकानों सहित लगभग 30 दुकानों को गिरा दिया। इस खबर के सामने आते ही इन दुकानों के व्यंजन के शौकीन लोगों के बीच हलचल मच गई, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है। बनारस के इन लजीज व्यंजनों के शौकीन लोग राहत की सांस ले सकते हैं, क्योंकि अब इन दो मशहूर दुकानों का नया पता मिल चुका है।
अब यहां मिलेगी पहलवान की लस्सी
75 साल पुरानी यह दुकान अपने खास स्वाद के लिए जानी जाती है। पहले यह दुकान लंका-रविदास चौराहे पर हुआ करती थी, लेकिन अब यहां की लस्सी का स्वाद चखने के लिए आपको लंका से अस्सी घाट की ओर जाने वाली सडक़ पर कटरा में एचडीएफसी बैंक के पास जाना होगा। दुकान का पता भले ही नया हो, लेकिन लोगों के अंदर इसकी दीवानगी कुछ कम नहीं है। राजनीति से लेकर फिल्म जगत तक इस दुकान पर मिलने वाली लस्सी का स्वाद कई मशहूर हस्तियां तक चख चुकी हैं। यहां मिलने वाली लस्सी को राबड़ी वाली लस्सी के नाम से जाना जाता है। इसे बनाने के लिए दही, मलाई (क्रीम), रबड़ी (एक मीठा गाढ़ा दूध का व्यंजन), केसर और गुलाब जल का इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही इसे सर्व करने के लिए पर्यावरण के अनुकूल कुल्हड़ (मिट्टी के प्याले) का इस्तेमाल होता है। आपको यहां लस्सी के कई सारे स्वाद चखने को मिलेंगे, जिसमें फ्रूट लस्सी, चॉकलेट लस्सी, केसर लस्सी, केला लस्सी और मसाला लस्सी शामिल हैं।
ये है चाची की कचौड़ी का नया पता
अपने अनोखे स्वाद के लिए मशहूर चाची की कचौड़ी 110 साल से लोगों की पसंदीदा बना हुई है। यह मशहूर दुकान अपने पुराने पता के ठीक सामने फिर से खुल गई है। यहां के दुकानदार कैलाश बताते हैं कि उनकी मां ने इस दुकान की शुरुआत की थी। वह न सिर्फ अपनी स्वादिष्ट कचौड़ी के लिए जानी जाती थी, बल्कि अपनी तीखी जुबान के लिए आज भी मशहूर हैं। स्वादिष्ट कचौड़ी के साथ मिलने वाली चाची की डांट-फटकार को स्थानीय लोग आशीर्वाद मानने लगे थे।
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