
हमारे शरीर को सही विकास और अच्छे तरीके से काम करने के लिए सभी विटामिन्स और मिनरल्स की जरूरत होती है। विटामिन-डी इन्हीं जरूरी विटामिन में से एक है, जो शरीर में कई जरूरी काम करता है। यह हड्डियों के स्वास्थ्य को बनाए रखने, इम्यून सिस्टम को मजूबत करने और शरीर में कैल्शियम और फास्फोरस के लेवल को कंट्रोल करने में मददगार है। आमतौर पर इसकी कमी पूरी करने के लिए सूरज की रोशनी सबसे अच्छा और नेचुरल सोर्स मानी जाती है, लेकिन कई बार लोग विटामिन-डी सप्लीमेंट्स की मदद से भी इसकी कमी को पूरा करते हैं। हालांकि, गलत तरीके से इसे लेने से सेहत को कई गंभीर नुकसान भी हो सकते हैं। ऐसे में आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे गलत तरीके से इसे लेने के नुकसान और विटामिन-डी सप्लीमेंट्स लेने का सही तरीका। बिना चिकित्सीय सलाह के विटामिन-डी सप्लीमेंट ले रहे हैं तो हो जाएं सावधान
विटामिन डी टॉक्सिसिटी

जरूरत से ज्यादा विटामिन डी सप्लीमेंट्स लेने से विटामिन डी टॉक्सिसिटी नामक समस्या हो सकती है। यह एक रेयर कंडीशन है, लेकिन काफी खतरनाक होती है। यह तब होती है, जब शरीर में बहुत ज्यादा विटामिन डी होता है, जिससे कैल्शियम का लेवल बढ़ जाता है जिसे हाइपरकैल्सीमिया कहा जाता है। विटामिन डी टॉक्सिसिटी के लक्षणों में मतली, उल्टी, कमजोरी, ज्यादा यूरिन आना आदि शामिल हैं। वहीं, गंभीर मामलों में किडनी डैमेज या हार्ट और फेफड़ों में कैल्शियम जमा होना शामिल है।
कैल्शियम इम्बैलेंस
विटामिन डी शरीर को कैल्शियम अब्जॉर्ब करने में मदद करता है, लेकिन इसे गलत तरीके से लेने से शरीर में संतुलन बिगड़ सकता है। शरीर में बहुत ज्यादा कैल्शियम होने से किडनी की पथरी, सॉफ्ट टिश्यूज के कैल्सीफिकेशन और हार्ट संबंधी समस्याएं हो सकती है। ऐसे में कैल्शियम के सही लेवल को बनाए रखने के लिए विटामिन डी की ज्यादा डोज न लें और इसे लेने से डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं
गलत मात्रा में विटामिन डी की खुराक खाने से मतली, कब्ज या दस्त सहित पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। यह अक्सर खाली पेट या ज्यादा मात्रा में सप्लीमेंट लेने के कारण होता है। बिना कुछ खाए या ज्यादा मात्रा में विटामिन डी लेने से गट की फंक्शनिंग प्रभावित हो सकती है। इसलिए बेहतर अब्जॉप्र्शन के लिए हेल्दी फैट वाली डाइट के साथ विटामिन डी का सेवन करें।
विटामिन-डी सप्लीमेंट्स लेने से पहले किन बातों का रखें ध्यान?
अगर आप विटामिन- डी सप्लीमेंट्स लेने का मन बना रहे हैं, तो सबसे पहले डॉक्टर की सलाह लें। इसके अलावा इसे शुरू करने से पहले, एक सिंपल 25-हाइड्रॉक्सी विटामिन डी टेस्ट के जरिए अपने ब्लड लेवल को मापना जरूरी है। इससे यह तय करने में मदद मिलती है कि क्या आपमें कुछ कमी है या नहीं। आमतौर पर 20 एनजी/एमएल से नीचे विटामिन डी का लेवल एक कमी का संकेत दे सकता है, जिसे पूरा करने की जरूरत होती है।
इन बातों का भी रखें ध्यान
विटामिन-डी की ज्यादा खुराक से बचें जब तक कि आपके डॉक्टर ने ज्यादा कमी के चलते आपको ऐसा करने को न कहा हो। लंबे समय तक ज्यादा डोज लेने से टॉक्सिसिटी हो सकती है। कुछ मेडिकल कंडीशन, जैसे मोटापा, किडनी डिजीज या गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिसऑर्डर, विटामिन डी के अब्जॉप्र्शन या मेटाबॉलिज्म में हस्तक्षेप कर सकती हैं। इसलिए सप्लीमेंट्स लेने से पहले अपने हेल्थ एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।