ठग्गू के लड्डू से सावधान!

समझ में आता भी है, नहीं भी आता। आया तो ऐसा कैसे हो गया। नही आया तो क्यूं नहीं आया। कोई अनपढ़-गंवार या अल्पबुद्धि का मानखा होता तो मान लेते। आजकल तो लोग येडा बन कर पेडा खाने से बाज नहीं आते और पढ़े-लिखे लोग येडे बनते जा रहे है। यह हैरत के साथ चिंता का विषय है। इसके पीछे जो लालच छुपा है, उसे उतार कर दूर फैकने की जरूरत है। वो तो नटवरलालपंथी करेंगे ही। यह उनका धंधा है। यह उनका पेशा है। हमें सावधान रहने की जरूरत है, वरना उनका धंधा फलता-फूलता रहेगा और लोग लालच में बोरा कर लुटते-पिटते रहेंगे। शहर की एक हथाई पर आज लालच के प्रति आगाह किया जा रहा था।


लालच का नाम आते ही बचपने में सुनी दो कहानियां याद आ जाती है। उनका कई बार वाचन भी किया और श्रवण भी। आजकल तो कहानियां लिखने-पढऩे-सुनने और सुनाने का दौर लगभग समाप्त हो गया वरना एक जमाने में भांत-भांत की कहानियां पढऩे-सुनने के भतेरे अवसर मिलते थे। वीरों-शूरवीरों की कहानियां। बाल मनोरंजक कहानियां। चंदा मामा से लेकर बंदर मामा और हाथी दादा की कहानियां। कछुए-खरगोश की कहानियां। जंगल जीव की कहानियां। शेर-बकरी की कहानियां। राजा-रानी और राजकुमार-राजकुमारी की कहानियां। स्कूली पुस्तकों में भी ऐसी कहानियां होती जो एक संदेश दिया करती थी। रात को दादी-दादू का सानिध्य मिलता तो बच्चा लोग सबसे पहले कहानी की फरमाइश करते।

दादी कभी बालक धु्रव की कहानी सुुनाती-कभी बंदर बिल्ली वाली। दादू कभी छत्रपति शिवाजी महाराज की जीवनगाथा सुनाते कभी महाराणा प्रताप की। स्कूलों में हर शनिवार को बालसभा होती थी। जहां बच्चे अपनी वाक कला का प्रदर्शन करते। दादू की सिखाई और स्कूली किताब में पढ़ी-रटी ‘अरे घास री रोटी ने जद बन बिलाउडो ले भाग्यो… सुनाते तो बच्चों का जोश देखने लायक होता। हमें तब की पढ़ी-रटी कविताएं-कहानियां-किस्से आज भी याद है। लालच के प्रति आगाह करने वाली कहानियां तो कभी भूली नहीं जा सकती। लालची चिडिया और कुत्ते वाली कहानी तो अमर हो गई। कई लोग उन्हें भूला बैठे। कई लोगों ने सच्चाई से आंखे फेर ली। नई नस्ल ने वो कहानियां सुनी भी नही होगी। कई मानखों ने हकीकत को हंसी में उडा दिया। कई लोग अपने-आप को अणूते हूशियार समझ बैठे। हम चौडे-गली संकरी। उन्हें वो कहानियां सुनानी जरूरी। हो सकता है-कोई सीख मिल जाए। हो सकता है-कुछ सीखने को मिल जाए। सीख लेंगे तो खुदी के लिए बेहतर वरना मोरिए बिकते रहेंगे। लुटने वाले लूटते रहेंगे और लुटने वाले लुटते रहेंगे।


एक बार चिडियों का झुंड सड़क पर बिखरे धान के दाने चुग रहा था। सारी चिडिया अपना पेट भरने में लगी थी। तभी एक बेलगाडी आती दिखाई दी तो कुछ चिडिएं उड गई। बेलगाडी और नजदीक आई तो और कुछ फुर्र..र्र.. हो गई। गाडी और नजदीक आती देख एक को छोड़कर सारी चिडिएं उड गई। सड़क पर बैठी चिडिया ने सोचा कि अभी तो बेलगाडी दूर है, तब तक पांच-पच्चीस दाने और चुग लूं। इस लालच में वो दाना चुगती रही तभी बेलगाडी का एक पहिया उसके ऊपर से निकल गया और चिडिया की मृत्यु हो गई।
संदेश- लालच ने चिडिया को मरवा दिया।


दूसरी कहानी कुुत्ते वाली। एक बार एक कुत्ता रोटी का टुकडा मुंह में दबा के नदी पर बने पुल से गुजर रहा था, तभी उसे पानी में एक कुत्ता नजर आ गया जिसके मुंह में भी रोटी थी। दरअसल वह उसी कुत्ते का प्रतिबिम्ब था जो पानी में दिख रहा था। कुत्ते ने सोचा कि वो कोई उसका हम नस्ल है, क्यूं ना उसकी रोटी छीन ली जाए। यह सोच कर वो जैसे ही भौंका.. उसके मुंह में जकड़ी रोटी पानी में गिर गई और वो देखता रह गया। संदेश- आधी को छोड़ पूरी ध्यावै, ना आधी रहे-ना पूरी पावै। इसका मतलब भी लालच बुरी बला है।


अब सवाल ये कि ऐसी कौन सी जरूरत आन पड़ी जो हथाईपंथी लोगों को लालच-लोभ से दूर रहने का सबक सिखा रहे है। ऐसा उनने पहली बार नही किया। वो पहले भी ऐसी सीख-सलाह देते रहे है। अहिंसा से लेकर नेक-नियति और ईमानदारी के साथ अपने कत्र्तव्यों का पालन करने की सीख दे चुके है। हथाईबाजों ने हमेशा प्रेम-अपणायत और समभाव-सद्भाव का संदेश दिया। वो देख रहे है कि पिछले दिनों से राज्य में ठगी और ऑनलाइन ठगी की घटनाएं बढ़ रही है।

बढ़ती ही जा रही है। पढ़े-लिखे लोग सोना दुुगना होने के फेर में ठगे जा रहे है। कहीं चैन चमकाने की आड में धोखा हो रहा है। लोगबाग ईनाम खुलने के चक्कर में लूट रहे है। कहीं खाता नंबर पूछ कर चारसौबीसी हो रही है। जैपर के उन सेवानिवृत्त इंजीनियर साहब को ही देख लो जिनने बारह साढे बारह लाख की लॉटरी खुलने के नाम पर एक एक करोड बीस लाख का जूता खा लिया। यह पूंजी उनने मेडिकल की पढ़ाई कर रही अपनी बेटी की शादी धूमधाम से करने के लिए जमा की थी। नटवरलाल उनका खाता साफ कर गए। कोई अनपढ़-गंवार किसी के झांसे में आए तो बात समझ में आती है यहां तो पढ़े-लिखे लोग लुट-पिट रहे है। इसके पीछे लालच। उसके पीछे लोभ। हथाईबाजों की फिर से गुजारिश है कि लालच से दूर रहे। लोभ से परे रहे। किसी के झांसे में ना आए। ठग तो ठगने की पूरी कोशिश करेेंगे। ठग्गू के लड्डू खा लिए तो जिंदगी भर पछताना पडेगा।