
भीलवाड़ा। राजस्थान में ऊर्जा नीति 2050 का खाका जारी किया गया है। सरकार ने ड्राफ्ट पर 14 सितम्बर तक सुझाव मांगे हैं। नीति में ऊर्जा लागत आधी करने का जिक्र है। ऐसा हुआ तो सर्वाधिक फायदा राज्य के उद्योगों को लगेंगे। खासकर कपड़ा उद्योग को तो पंख लगने की उम्मीद है। देश का पहला राज्य है जहां एनर्जी पॉलिसी बनाई जा रही है। ड्राफ्ट के अनुसार वर्ष 2030 तक ऊर्जा लागत 60 फीसदी कम की जाएगी। रिन्यूएबल एनर्जी जो 18 गीगावॉट है, उसे 2030 तक 90 गीगावॉट करने की योजना है। इसे वर्ष 2050 तक और बढ़ाने का प्रस्ताव है। अभी बिजली में छीजत 25 से 28 प्रतिशत है। उसे 12 से 15 फीसदी तक किया जाएगा। हालांकि उद्यमियों का मानना है कि रिन्यूएबल एनर्जी पर 5-7 साल में बने कानून केवल डिस्कॉम को फायदा पहुंचाते हैं। इन्हें बदलना जरूरी है।
ट्रांसमिशन शुल्क बढाया

पवन ऊर्जा में वर्ष 2000 तक ट्रांसमिशन छूट 50 फीसदी थी। अब शत-प्रतिशत शुल्क लिया जा रहा है। इसकी क्षमता हवा के आधार पर 20 फीसदी है। क्षमता से 5 गुना अधिक शुल्क लिया जा रहा है। पवन ऊर्जा पर 1 रुपया 22 पैसा प्रति यूनिट ट्रॉसमिशन शुल्क है। वहीं साधारण पर 24 पैसा है। संगठनों ने सुझाव दिया कि इस शुल्क को उत्पादन के आधार पर लगाएं।
बैंकिंग सुविधा समाप्त

वर्ष 2019 तक प्रावधान था कि पवन ऊर्जा उत्पादन को एक साल में कभी भी काम में ले सकते हैं, लेकिन अब रियल टाइम बेसिस आधारित है। यानी 24 घंटे में ही बिजली काम में लेनी जरूरी है। पड़ोसी हरियाणा में एक साल का नियम है। सुझाव मिला कि राजस्थान में बैंकिंग सुविधा पुन: लागू कर एक साल तक का समय दिया जाए।
सोलर पावर प्लांट पर एक लाख का शुल्क
उद्योग सालर पावर प्लांट लगाता है तो एक लाख रुपए प्रति मेगावॉट प्रतिवर्ष का शुल्क है। इस आधार पर कोई 10 मेगावॉट का प्लांट लगाने का प्रस्ताव देता है लेकिन 8 मेगावॉट का ही प्लांट चल रहा है तो उद्यमी से 10 लाख रुपए प्रति मेगावॉट का शार्ट कमीशन शुल्क लिया जा रहा है। उद्यमियों ने इसमें बदलाव के सुझाव दिए।
रेस्को मॉड पर नहीं लगा पा रहे प्लांट
रेस्को मॉड पर सोलर प्लांट लगाने पर रोक है जबकि पहले कोई भी किसी की भी छत पर सोलर प्लांट लगा बिजली बेच या खरीद सकता था। अब ऐसा नहीं कर सकता है। जिसने प्लांट लगाया, उसे अपना सबूत भी देना होगा। उद्यमियों ने सुझाव दिए कि किसी के पास जगह नहीं है तथा किसी और ने प्लांट लगाया है तो उससे बिजली लेने की छूट का भी प्रावधान होना चाहिए।
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