भोले बाबा की बारात का हिमाचल में भव्य स्वागत

भोले बाबा
भोले बाबा

नई दिल्ली। भगवान शंकर की बारात हिमाचल की ओर बढ़ चली। संसार में ऐसी विचित्र बारात न तो इतिहास में, इससे पूर्व कभी हुई थी, और न ही शायद आज के पश्चात कभी हो। इधर हिमाचल ने भी धरा का कोई कोना ऐसा नहीं छोड़ा था, जहाँ अपनी पुत्री के विवाह का निमंत्रण न भेजा हो-

‘सैल सकल जहँ लगि जग माहीं।

लघु बिसाल नहिं बरनि सिराहीं।।

बन सागर सब नदी तलावा।

हिमगिरि सब कहुँ नेवत पठावा।।’

जगत में जितने छोटे-बड़े पर्वत थे, जिनका वर्णन करके पार नहीं मिलता तथा जितने वन, समुद्र, नदियाँ और तालाब थे, हिमाचल ने सबको नेवता भेजा। सभी बारती मार्ग में भाँति-भाँति के कोतुहल करते हुए बारात की शोभा बढ़ाते हुए चल रहे थे। बारात में कोई नाच रहा है, कोई गा रहा है, तो कोई अन्य करतब दिखा रहा है। हिमाचल ने जहाँ-जहाँ निमँत्रण भेजे हैं, वे सब विभिन्न प्रकार के रुप धारण करने वाले हैं। वे इच्छानुसार सुंदर सरीर धारण कर, सुंदर स्त्रियों व समाजों सहित हिमाचल के घर पधारे हुए हैं। सभी स्नेह सहित मंगल गीत गा रहे हैं। हिमाचल ने पहले से ही बहुत से घर सजवा रखे हैं। अपने-अपने योग्य घर जान, सब उन स्थानों पर जा पहुँचे।

हिमाचल नगरी ऐसी सुंदर सजी थी, कि ब्रह्मा की रचना चातुरी भी, उसके समक्ष तुच्छ प्रतीत हो रही थी। नगर की शोभा देखकर तीनों लोकों में चर्चायों का बाजार गर्म था। हिमाचल के सौदर्य में वन, बाग, कुएँ, तालाब, नदियाँ सभी मानों परलोक की कल्पना थे। जिसका वर्णन अपनी वाणी से भला कौन कर सकता है? घर-घर बहुत से सुंदर सूचक तोरण और ध्वजा-पताकाएँ सुशोभित हो रही हैं। वहाँ के सुंदर और चतुर स्त्री-पुरुषों की छवि देखकर मुनियों के भी मन मोहित हो रहे हैं। वैसे भी जिस नगर में स्वयं जगदंबा माता ने अवतार लिया हो, क्या उसका वर्णन हो सकता है? वहाँ ऋद्धि, सिद्धि, सम्पति और सुख नित नए बढ़ते जाते हैं।