
जयपुर। जयपुर सेंट्रल जेल से पुलिस कंट्रोल रूम में फोन कर सीएम को शूट कर देने की धमकी देने का मामला हाई लेवल तक पहुंच गया है। जेल डीजी भूपेन्द्र दक से इस मामले में गृह राज्यमंत्री जवाहर सिंह बेढ़म ने रिपोर्ट मांगी है। जेल प्रशासन ने अपनी लाज बजाने के लिए फिलहाल इस मामले में दो जेल प्रहरियों को सस्पेंड किया है। आज इस मामले में जेल अधीक्षक को हटाया गया है। वर्तमान में जयपुर सेंट्रल जेल में ओमप्रकाश अधीक्षक के पद पर हैं। उन्हें आज सवेरे हटाया गया है। वे अगस्त महीने से कार्यवाहक जेल अधीक्षक के पद पर लगे हुए थे।
दरअसल सीएम को धमकी के मामले में अभी तक जेल प्रशासन ने हेड वार्डन अजय सिंह राठौड़ व वार्डन मनीष कुमार यादव को सस्पेंड कर दिया है। जेल में मोबाइल फोन पहुंचने के पीछे इन दोनो की ही जिम्मेदारी मानी जा रही है। जिस बंदी ने पुलिस कंट्रोल रूम में फोन किया था उसे कुछ दिन पहले ही सेंट्रल जेल परिसर में स्थित जिला जेल से सेंट्रल जेल में शिफ्ट किया गया था। पहले वह विचाराधीन चल रहा था और कुछ समय पहले उसकी सजा तय होने के बाद उसे बड़ी जेल में शिफ्ट कर दिया गया था। उसका नाम मुन्ना बताया जा रहा है। उधर इस मामले में लालकोठी थाने में केस दर्ज कराया गया है। लालकोठी पुलिस ने देर रात ही धमकी देने वाले आरोपियों को हिरासत में ले लिया है। आज उनको कोर्ट में पेश करने के बाद रिमांड पर लेकर ये पूछताछ की जाएगी कि जेल में आखिर फोन किसने दिया। बताया जा रहा है कि इस पूरे मामले में एक नहीं तीन आरोपी हैं। एक जिसके पास फोन था, दूसरा जिसके पास सिम थी और तीसरा आरोपी फोन कर धमकी देने वाला था।
जैमर सालों से खराब, आधुनिक तकनीक को रोकने की क्षमता ही नहीं

जयपुर सेंट्रल जेल समेत प्रदेश की अन्य सेंट्रल जेलों में मोबाइल फोन नेटवर्क जाम करने के लिए कुछ साल पहले मोबाइल फोन जैमर्स लगाए गए थे। दिल्ली के बाद राजस्थान की जेलों में ही जैमर लगे थे, लेकिन उसके बाद इन्हें अपडेट नहीं किया गया। यही कारण है कि अब ये सिर्फ शो पीस बनकर रह गए हैं।
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