
नई दिल्ली। केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र ने पिछले 9 वर्षों में तेजी से विकास किया है और भारत को अब दुनिया के शीर्ष 12 जैव प्रौद्योगिकी स्थलों में से एक माना जा रहा है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी (एनआईआई,) दिल्ली में मुख्य अतिथि के रूप में जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के 37वें स्थापना दिवस को संबोधित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत में जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र पिछले तीन दशकों में विकसित हुआ है। इसने स्वास्थ्य, चिकित्सा, कृषि, उद्योग एवं जैव-सूचना विज्ञान सहित विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसका मुख्य कारण सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों से मिला भारी समर्थन है।
उन्होंने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान, नवाचार और उद्यमिता में भारत को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने और आशाजनक भविष्य का मार्ग प्रशस्त करने के लिए 2014 से पहले की तुलना में इस क्षेत्र को तीन गुना से अधिक धनराशि आवंटित की गई है। मंत्री ने बताया कि पिछले साल उन्होंने बायोटेक शोधकर्ताओं और स्टार्ट-अप्स के लिए एकल राष्ट्रीय पोर्टल ‘बायोआरआरएपी’ लॉन्च किया था।
इससे देश में जैविक अनुसंधान और विकास गतिविधि के लिए विनियामक अनुमोदन प्राप्त करने वालों को सुविधा मिली थी। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत ग्लोबल बायो-मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की ओर अग्रसर है और 2025 तक दुनिया के शीर्ष 5 देशों में शामिल होगा। केंद्रीय मंत्री ने इस दौरान कोविड सुरक्षा मिशन पर डीबीटी बीआईआरएसी कॉफी टेबल बुक का विमोचन भी किया।