सभी भारतीयों की एक ही पहचान है: मोहन भागवत

mohan bhagwat

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चीफ मोहन भागवत ने गुरुवार को आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान शिक्षा और सामाज को लेकर कई बातें कहीं. उन्होंने कहा कि कोई भी तकनीक आती है, तो उसके लिए मनुष्य के हित के लिए उपयोग करना और उसके दुष्परिणाम से बचना होगा। जिससे तकनीकी मनुष्य का मालिक न बन जाए। इसीलिए शिक्षा जरूरी है. मोहन भागवत ने कहा, “सुशिक्षा सिर्फ लिटरेसी नहीं है। शिक्षा उसे कहते हैं, जिससे मनुष्य वास्तविक मनुष्य बने।

शिक्षा और समाज पर विचार
शिक्षा की परिभाषा: भागवत के अनुसार, सच्ची शिक्षा केवल साक्षरता नहीं है, बल्कि वह है जो इंसान को “वास्तविक मनुष्य” बनाती है। उन्होंने कहा कि ऐसी शिक्षा इंसान को जहर को भी दवा बनाने लायक बना देती है।

अखंड भारत और पहचान: उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वे अखंड भारत के समर्थक हैं और सभी भारतीयों की एक ही पहचान है — सभी हिंदू हैं।

तकनीक का उपयोग: भागवत ने कहा कि तकनीक का उपयोग मानव कल्याण के लिए होना चाहिए, ताकि तकनीक इंसान की मालिक न बन जाए।

पुरानी व्यवस्था में बदलाव की ज़रूरत: उनका मानना है कि अंग्रेजों द्वारा बनाई गई शासन व्यवस्था में बदलाव की ज़रूरत है क्योंकि यह शासन करने के लिए बनाई गई थी, प्रजापालन के लिए नहीं।

इतिहास का महत्व: उन्होंने कहा कि बच्चों को गौरव की भावना पैदा करने के लिए इतिहास की जानकारी दी जानी चाहिए, ताकि वे महसूस कर सकें कि वे भी कुछ हैं और कुछ कर सकते हैं।

नई शिक्षा नीति (NEP): भागवत ने कहा कि जागरूकता बढ़ने के कारण नई शिक्षा नीति में इन सभी बातों को शामिल किया गया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस तरह के बदलाव प्रशासन प्रणाली में भी होंगे।

मूल्यों की शिक्षा: उन्होंने कहा कि परंपरा और मूल्यों की शिक्षा दी जानी चाहिए, जो धार्मिक नहीं बल्कि सामाजिक है। जैसे, माता-पिता का सम्मान करना।

भाषा का महत्व: उन्होंने कहा कि हर भाषा में एक समृद्ध परंपरा होती है और इसे सीखना चाहिए। उन्होंने खुद का उदाहरण देते हुए कहा कि अंग्रेजी उपन्यास पढ़ने से उनके हिंदुत्व प्रेम में कोई कमी नहीं आई, लेकिन सिर्फ विदेशी साहित्य पढ़ना और भारतीय साहित्य को छोड़ देना सही नहीं है।

पंचकोशीय शिक्षा: भागवत ने कहा कि नई शिक्षा नीति में पंचकोशीय शिक्षा को अपनाया गया है, जिसमें कला, खेल और योग जैसे तत्वों का समावेश है। उनका मानना है कि कला सभी के लिए ज़रूरी है और सबको अच्छी कला को समझना चाहिए।