जयशंकर की रणनीति से गूंज उठा ग्लोबल साउथ, एकजुटता की नई पहल

जयशंकर

🌍 ग्लोबल साउथ की ताकत बढ़ाने जयशंकर ने पेश की साझा रणनीति
🤝 18 देशों की उच्चस्तरीय बैठक में सहयोग और विकास पर जोर
💡 AI, डिजिटल टेक्नोलॉजी, MSME और शिक्षा पर मिलकर काम की बात

Jaishankar’s Global South Strategy : ‘ग्लोबल साउथ’ को लेकर भारत की भूमिका अब केवल एक प्रतिनिधि तक सीमित नहीं रही, बल्कि वह इसे नेतृत्व के स्तर तक ले जाने की दिशा में है। इसी सोच को मजबूती देते हुए भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने न्यूयॉर्क में आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में बहुपक्षीय सहयोग की व्यापक रणनीति पेश की।

इस बैठक में सिंगापुर, वियतनाम, नाइजीरिया, क्यूबा, चाड, जमैका, इंडोनेशिया, मॉरीशस और मोरक्को सहित 18 देशों ने हिस्सा लिया। अलग-अलग राजनीतिक व्यवस्थाओं और आर्थिक विकास के स्तर होने के बावजूद, सभी देशों में साझा चिंताओं और समाधान की भावना दिखी।

जयशंकर ने कहा कि ग्लोबल साउथ के देश आपसी क्षमताओं और अनुभवों को साझा करके शिक्षा, डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर, वैक्सीन उत्पादन, कृषि तकनीक और MSME जैसे क्षेत्रों में आगे बढ़ सकते हैं। उन्होंने भविष्य की ओर इशारा करते हुए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को एक उभरते अवसर के रूप में चिन्हित किया।

इस बैठक को भारत की उस कूटनीतिक पहल का हिस्सा माना जा रहा है, जिसके तहत वह ग्लोबल साउथ के लिए एक ठोस आवाज बनना चाहता है। मालदीव के विदेश मंत्री ने भी इस दिशा में भारत की भूमिका की सराहना करते हुए कहा, “ग्लोबल साउथ की असली ताकत उसकी एकता और समावेशी सोच में है।”

यह भी पढ़ें गाज़ा युद्ध पर ट्रंप की ‘गुप्त कूटनीति’, अरब नेताओं से हुई अहम बातचीत

राजनीतिक मोर्चे पर भी जयशंकर ने बड़ा संदेश दिया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र और बहुपक्षीय मंचों में सुधार की ज़रूरत को दोहराया और कहा कि इन मुद्दों पर ग्लोबल साउथ देशों को मिलकर रणनीति बनानी चाहिए।

इस बैठक ने एक बार फिर साफ किया कि भारत अब वैश्विक मंचों पर ‘ग्लोबल साउथ’ की आवाज को केवल उठाने तक सीमित नहीं है, बल्कि वह उसे दिशा देने के लिए तैयार है।