सर्वाइकल कैंसर के मामले कम हो रहे
एचपीवी टीके तथा डीएनए टेस्ट से हो रही रोकथाम
जयपुर। महात्मा गाँधी अस्पताल, जयपुर में आयोजित तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस ‘एओगिन 2025” में सन् 2030 तक सर्वाइकल कैंसर मुक्त विश्व के लिये विश्व स्वास्थ्य परिषद द्वारा दिये गए लक्ष्य पर विस्तृत विचार विमर्श व परिचर्चा आयोजित हुई। कांफ्रेंस में देश भर से आए विख्यात स्त्री कैंसर रोग, स्त्री रोग विशेषज्ञों के अलावा वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं समेत पांच सौ से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
कॉन्फ्रेंस में विश्व स्वास्थ्य परिषद के कैंसर बचाव विभाग के अध्यक्ष डॉ. पार्था बासु ने भारत सहित अन्य विकासशील देशों में हो रहे प्रयासों के बारे में बताया। इस संगोष्ठी का उद्घाटन महात्मा गाँधी मेडिकल यूनिवर्सिटी के संस्थापक चेयरमैन डॉ एम एल स्वर्णकार द्वारा किया गया।
आयोजन समिति अध्यक्ष तथा वरिष्ठ स्त्री कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. रानू पाटनी व आयोजन सचिव वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. अंशु पाटोदिया मुख्य सूत्रधार रहीं। महात्मा गाँधी के राम कैंसर सेंटर की गायनी ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. रानू पाटनी ने बताया कि राजस्थान में स्त्री कैंसर से बचाव व स्त्री कैंसर रोग के लिये विशेषज्ञ सेवाओं की बहुत आवश्यकता है। इस संगोष्ठी के आयोजन से इस क्षेत्र मे अग्रसर होने का राजस्थान के लिये एक अहम अवसर मिला है।
कार्यक्रम में डॉ शंकर नारायण ओरेशन में मुख्य वक्ता सुप्रसिद्ध स्त्री कैंसर विशेषज्ञ पद्मश्री डॉ नीरजा बटाला ने कहा कि अनुमान के तौर पर इस समय दुनिया में हर साल 6.5 लाख से अधिक सर्वाइकल कैंसर के नए रोगी सामने आ रहे हैं। भारत में यह संख्या करीब 1.25 लाख है। अगर सर्वाइकल कैंसर से होने वाली मौतों के आंकड़े देखें तो ज्ञात होगा कि दुनिया में हर साल 3.5 लाख मौतों के लिए सर्वाइकल कैंसर जिम्मेदार है। देश में यह संख्या 60 हजार के आसपास है।
सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए एचपीवी वैक्सीन को बहुत उपयोगी बताया हुए कहा कि इससे सर्वाइकल कैंसर में 60 से 90 प्रतिशत तक कमी आ सकती है। खास बात ये है कि यह वैक्सीन गले, मलद्वार तथा योनि के कैंसर में भी प्रभावी साबित हो रहा है। वैक्सीन लगाने से प्री कैंसर घावों, संक्रमण में भी भारी गिरावट आती है।
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