दिल्ली ने मेड इन डब्लूयूडी (एमआईडब्लू) डिजाइन विद्यार्थियों के भव्य ग्रैजुएट शो की मेजबानी की

ग्रैजुएट शो
ग्रैजुएट शो

नई दिल्ली। दिल्ली में रचनात्मकता और नवाचार का शानदार उत्सव हुआ जिसमें इंडिया हैबिटैट सेंटर की दृश्य कला वीथिका में 30 मई से एक जून तक चले मेड इन डब्लूयूडी (एमआईडब्लू) शो के प्रथम संस्करण में वर्ल्ड युनिवर्सिटी ऑफ डिजाइन (डब्लूयूडी) से स्नातक की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों ने अपनी रचनाएं प्रदर्शित की। इस आयोजन में डिजाइन, आर्किटेक्चर, फैशन, विजुअल आर्ट्स, कम्युनिकेशन, इंटीरियर्स, एनिमेशन और परफॉर्मिंग आर्ट्स में स्नातक कर रहे 50 से अधिक विद्यार्थियों ने अपनी परियोजनाएं प्रस्तुत की।

इस प्रदर्शनी में स्कूल ऑफ फैशन से विद्यार्थियों ने ऐसे साहसिक और आगे की सोच वाले संग्रह प्रस्तुत किए जो पहचान, टिकाऊपन और किस्सागोई पर केंद्रित थे। उनके कार्यों में मॉड्युलर युटिलिटी वियर, बचे हुए फैब्रिक्स से बने सर्कुलर किड्सवियर, पारंपरिक ब्लॉक प्रिंटिंग पर नए सिरे से कार्य और भूमिगत उपसंस्कृति से प्रेरित मेन्सवियर शामिल थे। इन संग्रहों में नए विचारों के साथ शिल्पकौशल का मेल देखने को मिला। वहीं उद्योग के साथ गठबंधन ने विद्यार्थियों का वास्तविक दुनिया के अनुभव से परिचय कराया और अधिक सार्थक एवं उद्देश्यपूर्ण फैशन की दिशा में रुख सामने आया।

इस बीच, स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर ने ऐसी अनूठी परियोजनाएं पेश की जिनमें जगह और टिकाऊपन के बारे में नए तरीके से सोचना की संभावनाएं तलाशी गईं। इनमें एक जलवायु परिवर्तन से निपटने वाला कैंपस शामिल है जिसने अंतरक्षेत्रीय सीख, असम में बांस आधारित नवप्रवर्तन केंद्र, उज्जैन में एक टिकाऊ होटल परियोजना और कनॉट प्लेस में एक टीओडी का प्रस्ताव शामिल है जो कामकाज, रहने और मौज मस्ती का मेल कराता है। मैटेरियल, पर्यावरण और स्थानीय संदर्भ पर ध्यान केंद्रित करने के साथ इन विद्यार्थियों ने भारत के निर्मित वातावरण के भविष्य उत्साहजनक विचारों की पेशकश की।

वर्ल्ड युनिवर्सिटी ऑफ डिजाइन के कुलपति डाक्टर संजय गुप्ता ने कहा, “एमआईडब्लू हमारे विद्यार्थियों की भावना- उनके धैर्य, मौलिकता और महत्वाकांक्षा का जश्न मनाने का एक मंच है। आज इसे देश में स्नातकों के प्रदर्शन का सबसे बेहतरीन मंचों में से एक के तौर पर जाना जाता है। जो चीज़ मुझे सबसे अधिक उत्साहित करती है वह यह है कि हमारे विद्यार्थी ना केवल परिष्कृत कौशल, बल्कि संदर्भ, सहानुभूति, टिकाऊपन और नवप्रवर्तनी की गहरी समझ के साथ इस दुनिया में कदम रख रहे हैं जोकि आने वाले कल के रचनात्मक नेताओं के लिए आवश्यक घटक हैं।”