गिरनार फाउंडेशन ने “सो टू ग्रो” का दूसरा संस्करण 60,000 सीड बॉल्स के साथ लॉन्च किया

गिरनार फाउंडेशन
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जयपुर: कारदेखो समूह की सीएसआर शाखा गिरनार फाउंडेशन ने अपने प्रमुख कार्यक्रम “सो टू ग्रो” के दूसरे संस्करण का सफलतापूर्वक आयोजन किया। पिछलेवर्ष के पहले संस्करण की उल्लेखनीय सफलता के बाद, इस बार जयपुर और गुरुग्राम में 60,000 सीड बॉल्स का निर्माण और वितरण किया गया। यह पहल न केवल फाउंडेशनकी सस्टेनेबिलिटी और संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य 13: क्लाइमेट एक्शन के प्रति प्रतिबद्धता को मजबूत करती है।

1 जुलाई से 26 अगस्त 2025 तक चले इस अभियान का उद्देश्य बंजर और पारिस्थितिक दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्रों का पुनरुद्धार करना था। इनमें अरावली वन क्षेत्र (दिल्ली–फरीदाबाद रोड), झालाना लेपर्ड सफारी, श्यामपुरा कचोलिया और जगतपुरा शामिल रहे। पीपल, कदंब, अमलतास और बबूल के सीड बॉल्स तैयार कर उन्हें प्राकृतिक वनीकरण, मिट्टी की उर्वरता और जैव विविधता को बढ़ाने के लिए फैलाया गया।

गिरनार फाउंडेशन
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इस अभियान में कारदेखो समूह के विभिन्न ब्रांड्स, लगभग 400 वालंटियर, स्थानीय स्कूलों और सामुदायिक संगठनों ने सक्रिय भागीदारी निभाई। प्रमुख सहयोगियों में शामिल रहे—उदयन् केयर एवं प्रज्ञा निकेतन नॉलेज सेंटर (बॉश इंडिया फाउंडेशन की सीएसआर शिक्षा पहल, जिसे प्योर इंडिया ट्रस्ट द्वारा लागू किया गया), जिन्होंने जयपुर में सीडबॉल्स निर्माण का कार्य संभाला, एल.एन. स्कूल के छात्र, जिन्होंने निर्माण में योगदान दिया, राजस्थान स्काउट्स एवं गाइड्स ट्रेनिंग सेंटर, जगतपुरा के छात्र, जिन्होंने सीड बॉम्बिंगड्राइव में भाग लिया तथा सेव अरावली ट्रस्ट के स्वयंसेवक, जिन्होंने कारदेखो की इंटरनल टीम के साथ मिलकर दिल्ली में सीड बॉल्स का वितरण किया।

इस पहल पर बोलते हुए, पीहू जैन हेड गिरनार फाउंडेशन ने कहा, “सो टू ग्रो केवल एक पर्यावरणीय अभियान नहीं है—यह एक्शन और आशा का सामूहिक आंदोलन है। पहलेसंस्करण की सफलता से प्रेरित होकर, इस वर्ष के प्रयास हमारे जलवायु कार्रवाई और जैवविविधता पुनर्स्थापना के प्रति गहरे समर्पण को दर्शाते हैं। हर एक सीड बॉल के साथ, हमकारदेखो ग्रुप के कार्बन न्यूट्रलिटी और सभी के लिए एक स्थायी भविष्य की दिशा में एक छोटा किंतु सशक्त कदम उठा रहे हैं।”अपने दूसरे संस्करण के साथ, “सो टू ग्रो” अब गिरनारफाउंडेशन का एक नियमित और प्रमुख कार्यक्रम बन चुका है, जो निरंतर अपनी पहुंच और प्रभाव का विस्तार कर रहा है। यह पहल न केवल पारिस्थितिक तंत्रों को पुनर्जीवित औरपोषित कर रही है, बल्कि समुदायों को पर्यावरण संरक्षण एवं ग्रह के प्रति जिम्मेदारी निभाने हेतु प्रेरित और सशक्त भी बना रही है।

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