ऊंट पालकों ने ऊंट की बिक्री पर लगे बैन को हटाने की मांग की, 2500 से ज्यादा परिवारों पर आजीविका का संकट

राजस्थान के राज्य पशु ऊंट की बिक्री पर लगे बैन से इसे पालने वाले 2500 से ज्यादा परिवारों पर अब आजीविका चलाने का संकट आ गया है। इसकी बिक्री पर रोक हटाने और उष्ट्र विकास योजना के तहत ऊंट पालकों को दी जाने वाली सहायता राशि को दोबारा शुरू करने की मांग को लेकर जैसलमेर से आए ऊंट पालकों के एक दल ने आज कृषि पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया और वन मंत्री सुखराम विश्नोई से मुलाकात की।

इस मुलाकात में इन्होंने गाय, भेड़, बकरी की तर्ज पर ऊंटों के लिए भी चारागाह जमीन आरक्षित करने की मांग की, ताकि एक निश्चित स्थान पर ऊंटों को भोजन-पानी मिल सके। लोकहित पशु पालक संस्थान के सदस्य सुमेर सिंह भाटी ने बताया मौजूदा समय में ऊंटों के बेचान पर प्रतिबंध है। इसके कारण इनको पालने वाले परिवार (रेबारी समुदाय) के लोगों के लिए आजीविका प्रभावित हो रही है।

वहीं ऊंटों को चरने के लिए जैसलमेर-बाड़मेर क्षेत्र में जो जमीनें थी वह अब सोलर बिजली प्लांट लगाने वालों को आवंटित की जा रही है। जिन कंपनियां को जमीनें दी जा रही है वे इन ऊंटों को वहां आने से रोकती है। ऊंट की बिक्री पर रोक लगने, राज्य के बाहर लाने-ले जाने पर प्रतिबंध होने के कारण 30-40 हजार रुपए में बिकते थे उनकी कीमत अब 5 से 10 हजार रुपए पर आ गई है।

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