कर्नाटक में जाति जनगणना रिपोर्ट पेश, पिछड़ा वर्ग आरक्षण बढ़ाकर 51 प्रतिशत करने की सिफारिश

मुख्यमंत्री सिद्दरमैया
मुख्यमंत्री सिद्दरमैया

बेंगलुरु। कर्नाटक में जाति आधारित जनगणना रिपोर्ट में पिछड़े समुदायों के लिए आरक्षण को मौजूदा 32 प्रतिशत से बढ़ाकर 51 प्रतिशत करने की सिफारिश की गई है। सूत्रों के अनुसार जाति आधारित जनगणना से पता चला है कि राज्य में पिछड़ी जातियों की जनसंख्या 70 प्रतिशत है। इससे पहले बिहार सरकार ने भी जाति आधारित जनगणना करवाई थी। रिपोर्ट में तमिलनाडु और झारखंड का उदाहरण दिया गया सूत्रों ने बताया कि रिपोर्ट में तमिलनाडु और झारखंड का उदाहरण दिया गया है, जो पिछड़े वर्ग की आबादी के अनुसार क्रमश: 69 और 77 प्रतिशत आरक्षण प्रदान दे हैं।

बिहार में ऐसा है मामला

बिहार सरकार ने भी जाति आधारित जनगणना रिपोर्ट के आधार पर राज्य में सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण कोटा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया था। इस कानून को पटना हाई कोर्ट ने रद कर दिया था। मामला सुप्रीम कोर्ट में है। सर्वेक्षण शुरू में 2015 में एच. कंथराज द्वारा कराया गया था और बाद में कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष के. जयप्रकाश हेगड़े ने इसे पूरा किया और फरवरी 2024 में मुख्यमंत्री सिद्दरमैया को रिपोर्ट सौंपी। पिछले दिनों यह रिपोर्ट राज्य कैबिनेट में पेश की गई।

किसकी कितनी है आबादी

पिछड़ा वर्ग 1ए श्रेणी – 34,96,638
पिछड़ा वर्ग 1बी श्रेणी – 73,92,313
पिछड़ा वर्ग 2ए श्रेणी – 77,78,209
पिछड़ा वर्ग 2बी श्रेणी – 75,25,880
पिछड़ा वर्ग 3ए श्रेणी – 72,99,577
पिछड़ा वर्ग 3बी श्रेणी – 1,54,37,113
अन्य पिछड़ी जातियों की कुल जनसंख्या- 4,16,30,153
अनुसूचित जाति – 1,09,29347
अनुसूचित जनजाति 42,81,289

जाति जनगणना राजनीतिक नाटक: कुमारस्वामी

केंद्रीय मंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरमैया पर जाति जनगणना को राजनीतिक नौटंकी के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है। कुमारस्वामी ने कहा, जाति जनगणना रिपोर्ट का कोई मतलब नहीं है। सरकार जाति लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रही है। अगर आप वाकई जाति जनगणना चाहते हैं, तो सर्वेक्षण कर नई रिपोर्ट पेश करें। पिछले 10 सालों में जनसांख्यिकी में महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं।