चमोली हादसा : डाइवर्स ने झील की गहराई मापी, 4.80 हजार करोड़ लीटर पानी होने का अनुमान

उत्तराखंड के चमोली जिले पर अभी भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। यहां ऋषि गंगा के ऊपर ग्लेशियर टूटने से बनी आर्टिफिशियल झील का इंडियन नेवी, एयरफोर्स और एक्सपर्ट की टीम ने मुआयना किया। डाइवर्स ने झील की गहराई मापी है। इससे मिले डेटा के जरिए वैज्ञानिक यह पता करेंगे कि डैम की मिट्टी की दीवार पर कितना दबाव पड़ रहा है। इस झील में करीब 4.80 हजार करोड़ लीटर पानी होने का अनुमान है।

इस झील में होने वाली सारी हलचल पर नजर रखने के लिए विशेषज्ञों की टीम लगाई गई है। इसके अलावा ऋषिगंगा नदी में सेंसर भी लगाया गया है, जिससे नदी का जलस्तर बढ़ते ही अलार्म बज जाएगा। एसडीआरएफ ने कम्युनिकेशन के लिए यहां एक डिवाइस भी लगाई है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, ये झील करीब 750 मीटर लंबी है और आगे बढ़कर संकरी हो रही है। इसकी गहराई आठ मीटर है। इसके हिसाब से झील में करीब 48 हजार घन मीटर यानी करीब 4.80 हजार करोड़ लीटर पानी होने का अनुमान है। नेवी के डाइवर्स ने हाथ में इको साउंडर लेकर इस झील की गहराई मापी। अगर ये झील टूटती है तो काफी ज्यादा नुकसान हो सकता है।

एक्सपर्ट के मुताबिक, ये झील केदारनाथ के चौराबाड़ी जैसी है। 2013 में केदारनाथ के ऊपरी हिस्से में 250 मीटर लंबी, 150 मीटर चौड़ी और करीब 20 मीटर गहरी झील के टूटने से आपदा आ गई थी। इस झील से प्रति सेकंड करीब 17 हजार लीटर पानी निकला था।

यह भी पढ़ें-1 दिन में दूसरी बार प्रयागराज पहुंची प्रियंका गांधी