‘कोरोनरी ट्रांस लोकेशन’ हार्ट सर्जरी से बच्चे को मिला नया जीवन

बच्चे को मिला नया जीवन
बच्चे को मिला नया जीवन
  • महात्मा गांधी अस्पताल जयपुर में हुआ दुर्लभ ऑपरेशन

जयपुर। उपचार जब सफलतापूर्वक हो जाये तो घर-परिवार में माहौल खुशनुमा हो जाता है। और जब इस तरह की सफलता से किसी बच्चे को नया जीवन मिले तो खुशी दोगुना हो जाती है। सीतापुरा स्थित महात्मा गांधी अस्पताल में बच्चों की हार्ट सर्जरी टीम को ‘एनोमेलस लैफ्ट कोरोनरी आर्टरी फ्रॉम राइट पल्मोनरी आर्टरी – ‘अलकार्पा’ नामक दुर्लभ बीमारी के उपचार में सफलता मिली है।

उसे कोरोनरी ट्रांस लोकेशन नामक ऑपरेशन कर नई जिंदगी दी है। उल्लेखनीय है कि दुनिया के चिकित्सा इतिहास में अब तक ऐसे केवल चालीस ऑपरेशन ही हुए हैं। राजस्थान में यह अपनी तरह का पहला केस था। सुविख्यात हार्ट सर्जन डॉ. सुनील कौशल ने बताया कि चौमूं निवासी तीन साल का पूर्वित पिछले दो साल से लगातार निमोनिया जैसी समस्या से पीडित था। उसे बार बार अस्पताल में भर्ती रहना पडता था।

इतनी छोटी उम्र मे भी वह रोजाना सोलह गोलियां लेने को मजबूर था। उसे ह्रदय से जुडी जन्मजात विकृति अलकार्पा यानी ‘एनोमेलस लैफ्ट कोरोनरी आर्टरी फ्रॉम राइट पल्मोनरी आर्टरी’ नामक गंभीर बीमारी थी। उसके दिल में ह्रदय को ऑक्सीजनयुक्त ब्लड को ह्रदय में पहुंचाने वाली कोरोनरी आर्टरी महाधमनी की बजाय पल्मोनरी आर्टरी में दाईं तरफ जुडी थी इससे वांछित शुद्ध रक्त तथा ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहा था।

इससे उसे बार बार दिल के दौरे पडते थे। ह्रदय की कार्यक्षमता मात्र पन्द्रह प्रतिशत तक रह गई थी। डॉ. कौशल ने बताया कि परिजनों ने उसे कई जगहों पर उपचार दिलाया। आखिर ईको जांच करने से उसकी बीमारी सामने आई। समस्या बहुत गंभीर थी। किन्तु रोग की गंभीरता को देखते हुए परिजनों इस जोखिमभरी सर्जरी की सहमति दे दी।

पूरी सावधानी रखते हुए यह जटिल तथा दुर्लभ ‘कोरोनरी ट्रांस लोकेशन ऑपरेशन’ किया गया जो आठ घण्टे चला। इसके बाद कई दिनों तक उसे गहन चिकित्सा इकाई में रखा गया। बच्चा अब स्वस्थ हो गया है उसका हार्ट जो पहले मात्र पन्द्रह फीसदी काम कर रहा था अब चालीस फीसदी काम कर रहा है।

शनिवार को उसे घर भेज दिया गया है। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन को सफलता का अंजाम देने में बच्चों के ह्रदय रोग विषेषज्ञ डॉ संजय खत्री, डॉ. कनुप्रिया चतुर्वेदी तथा कार्डियक एनेस्थेटिस्ट डॉ. गौरव गोयल की महत्वपूर्ण भूमिका रही।