जलवायु परिवर्तन का कोष उपलब्ध ही नहीं कराया

निर्मला सीतारमण
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सीतारमण ने पश्चिमी देशों की ऐसे की खिंचाई

नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जलवायु परिवर्तन जुड़ें कार्यो का उद्देश्यों हासिल करने के लिए धन उपलब्ध नहीं कराने के मसले पर पश्चिम देशों की खिंचाई की है। उन्होंने कहा कि भारत अपने पैसे से ही जलवायु परिवर्तन प्रति की अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा कर रहा है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ अपनी लड़ाई में भारत बेहद महत्वाकांक्षी तरीके से राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित लक्ष्यों के साथ आगे बढ़ रहा है।

हम जलवायु परिवर्तन के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं को स्वयं के पैसे से पूरा कर रहे: सीतारमण

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सीतारमण ने सोमवार को कहा, हमने सीओपी21 और फिर सीओपी26 में जो प्रतिबद्धताएं तय कीं उन पर तय मापदंडों के तहत काम कर रहे हैं, जिन पर यूएनएफसीसीसी (जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन) में सभी सहमत हुए थे। इसलिए हम राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित प्रतिबद्धताओं के रास्ते पर आगे बढ़ेंगे। मुझे यह बताते हुए काफी खुशी हो रही है कि भारत ने पेरिस में की गई अपनी सीओपी21 प्रतिबद्धताओं को बड़े पैमाने पर अपने स्वयं के पैसों से ही पूरा किया है।

वित्त मंत्री का आरोप- वादा करने के बावजूद कोष का नहीं किया गया वितरण

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उन्होंने कहा, कोष (जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए) है, लेकिन उपलब्ध नहीं है। वादा किया गया, लेकिन इसका वितरण नहीं किया गया। हम जिस एक अरब की बात करते आए हैं, उस पर कुछ नहीं हुआ। यह कुछ ऐसा हो सकता है जिसके बारे में कई देश बोलना चाहेंगे और मैं इसे अपनी सूची में रखूंगी। वित्त मंत्री सीतारमण ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि मौजूदा समय में चिंता प्रति व्यक्ति उत्सर्जन क्या है इस बात की है। इसके बारे में में बात की जा रही है, यह वास्तव में कुछ देशों को नुकसान पहुंचा रहा है।

भारत का ध्यान अब लोगों को कुशल बनाने, डिजिटलीकरण पर है: सीतारमण

निर्मला सीतारमण
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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने वाशिंगटन दौरे पर कहा कि देश के सारे लोगों तक बुनियादी सुविधाएं पहुंचाने के अपने लक्ष्य को भारत ने लगभग हासिल कर लिया है और अब ध्यान उन्हें कुशल बनाने और डिजिटलीकरण पर है। ऐसा होने से लोगों के जीवनयापन में सुगमता और पारदर्शिता आएगी। सीतारमण ने अमेरिका के विचार समूह ‘पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स में कहा कि सरकार गरीब लोगों को मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराकर सशक्त बनाना चाहती है। उन्होंने कहा, बुनियादी सुविधाएं देने के लिहाज से हमने अपने लक्ष्य को लगभग प्राप्त कर लिया है।

भारत सरकार देश के गरीबों को सुविधाओं से लैस करना चाहती है: वित्त मंत्री

वित्त मंत्री ने कहा कि भारत सरकार देश के गरीबों को सुविधाओं से लैस करना चाहती है। उन्होंने कहा, हम चाहते हैं कि उन्हें रहने के लिए पक्के घर दिए जाएं, पाइप के जरिए पेयजल उन तक पहुंचे, बिजली हो, अच्छी सड़कें हो…सिर्फ गांव तक ही नहीं बल्कि गांवों की गलियों तक भी अच्छी सड़कें हों जो नजदीकी राजमार्ग से जोड़ी जा सकें, अच्छी परिवहन सुविधा तक लोगों की पहुंच हो, वित्तीय समावेशन हो जिससे घर के प्रत्येक सदस्य का बैंक में खाता खुले और उन्हें हर लाभ सीधे उनके खाते में मिल सके। उन्होंने कहा, इस लिहाज से हम परिपूर्णता की ओर बढ़ रहे हैं।

भारत में सरकार का ध्यान अब लोगों को कुशल बनाने पर: निर्मला सीतारमण

वित्त मंत्री ने कहा कि हमारा ध्यान अब लोगों को कुशल बनाने पर है। उन्होंने कहा, ”अब हम लोगों को कुशल बनाने के प्रयास कर रहे हैं। देशभर में अब कौशल केंद्र हैं। कौशल का स्तर हर व्यक्ति के लिए अलग होता है। इससे व्यापारों और निजी क्षेत्र के उद्यमियों को भी जोड़ा जा रहा है ताकि जो लोग प्रशिक्षण पा रहे हैं और व्यवसाय जिस तरह के प्रशिक्षित लोग चाहते हैं उनके बीच संपर्क बन सके। सीतारमण ने कहा कि भारत का डिजिटलीकरण का कार्यक्रम भी तेजी से चल रहा है, इसके दायरे में स्वास्थ्य, शिक्षा और वित्तीय लेनदेन आ गए हैं। अब हम अन्य क्षेत्रों का भी डिजिटलीकरण करना चाहते हैं जिससे जीवनयापन में आसानी हो और अर्थव्यवस्था में और अधिक पारदर्शिता आए।

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