चलो.. शांति हुई

वही कथन। वही कहाई। वहीं आवाज। सीन-मंजर-दृश्य और स्थान में जरा सा बदलाव, वरना जैसा वहां था, वैसा ही यहां है। जैसे विचार वहां वालों के थे, वैसे ही विचार यहां वालों के। जैसा वहां के लोगों ने कहा- वही बात यहां के लोग दोहरा रहे है। ऐसा तो है नहीं कि वहां कौवे काले और यहां सफेद पाए जाते हो। एक शहर-एक परिवार। क्या यहां वाले और क्या वहां वाले। नगर निगम दो बन गए तो क्या हुआ, है तो अपन सब एक। उत्तर दक्षिण से और दक्षिण उत्तर से दूर नहीं। हफ्ते-दस दिन के धमाल के बाद वहां भी शांति हो गई थी और अब यहां भी शांति हुई। शहर की एक हथाई पर आज उसी के चर्चे हो रहे थे।


यहां-वहां के बारे में पढ़ कर कोई यह ना समझ बैठे कि हम तेरी-मेरी या थ्हारी-म्हारी कर रहे है। ऐसा करना हमारी फितरत में ही नही है। हमारे पुरखों ने भी ऐसा नही किया। उम्मीद है कि नई नस्ल भी ऐसा नही करेगी। भला कोई पानी में लकीर खींच सकता है क्या। जहां तक हमारा ख्याल है- जानने वाले जान गए होंगे कि कलम क्या कहना चाहती है। कलम का रूख किस की तरफ हो रहा है। यदि कोई नहीं जान पाया हो उनके लिए हम है ना। मगर ऐसा है नही। उत्तर दक्षिण के साथ-साथ यहां-वहां के कथन-कहाई-उवाच के बारे में पढ़ते ही पूरा सार समझ में आ गया होगा। धमाल और शांति के चर्चे हुए तो और पुख्ता हो गया कि हथाईबाजों का इशारा नगर निगम चुनावों की ओर ही है, था भी उसी की ओर। कई को तो इशारे की भी जरूरत नही पड़ी होगी। वो लिफाफा देखते ही मजमून भांप गए होंगे।


नगर निगम दक्षिण जोन के चुनाव भी आज निपट गए। उत्तरी क्षेत्र के लिए 29 अक्टूबर को वोट पड़ गए थे। अदीतवार को दक्षिण भी सुलट गया। मतदान से पूर्व जैसे हालात उत्तर वालों ने भुगते उससे दो दिन ज्यादा दक्षिण वालों को भुगतना पड़ा। वहां दो दिन पहले शांति हो गई और यहां आज। मतदाताओं नेे अपना फैसला इवीएम में बंद कर दिया। तीन नवंबर को मशीने खुलेगी तब पता चलेगा कि कौन जीतेगा-कौन हारेगा। कौन दिवाली से पहले दिवाली मनाएगा और किसकी दिवाली फीकी रहेगी। मंगल किस का मंगल करेगा और किस के लिए अमंगलकारी रहेगा। किसका मंगल भारी है और किस का हलका। इस का फैसला हो जाणा है।


दोनों निगमों के चुनाव के दौरान वही कुछ हुआ जो अब तक के चुनावों में होता आया है। फरक इतना रहा कि पहले हम सब एक के लिए मतदान करते थे इस बार दो के लिए वोट डाले गए। जयपुुर में नगर निगम हैरिटेज और ग्रेटर तथा जोधपुर व कोटा में उत्तर और दक्षिण। जयपुर हैरिटेज-जोधपुर और कोटा उत्तर जोन के तार पुराने शहर से जुड़े। शहरपनाह का ज्यादातर हिस्सा इनसे जुडा हुआ जबकि बाहरी क्षेत्र जयपुर ग्रेटर तथा जोधपुर-कोटा दक्षिण के खाते में। जोधपुर के साथ आज वहां भी सब कुछ शांतिपूर्वक निपट गया। थोडी बहुत कातर-कूंतर हर बार होती है। इस बार भी हो गई हो तो कोई नई बात नहीं।


चुनाव को लेकर हमेशा दो धाराएं फूटती रही है। एक तरफ शांति, तो दूसरी ओर टाईम पास करना मुहाल। मतगणना होने तक तो फिर भी चहल-पहल रहेगी। खींचताण के मेयर-डिप्टी मेयर के चुनाव तक ले लो। उसके बाद भंवर को भटके आणे तय। वोट पडऩे के बाद सबसे ज्यादा राहत महसूस करने वालों में टॉप है तो वो है गृहणियां और दूसरे दुकानदार। गृहणियां खुश इसलिए कि अब वो आराम से गृहकार्य निपटाकर तसल्ली के साथ भोजन कर रही है। खाना अरोघने के बाद घंटे दो घंटे भिसाई ले लेती है। जो माताएं-बहनें दिन को आराम नहीं करती वो थोडी देर टीवी सीवी देख लेती है। बच्चे भी आराम से ऑनलाइन क्लासेज ज्वाइन कर रहे है।

उधर व्यापारी भी ग्राहकी में व्यस्त। सवाल ये कि चुनावों से पूर्व इनकी राहों में रोडे कौन अटकाता था। जवाब ये कि रोडे-वोडे तो कोई नहीं अटकाता अलबता वोटों के मांगणियारों का आवागमन दिन भर बना रहता। काकीसा साक-भाजी काटने बैठी कि पंजा वाले आ गए। बुआसा ने साक छोंका कि कमल वाले आ गए। मौसी ने आटा ओसने को हुई तो गुब्बारें वाले आ गए। बडी मम्मी ने रोटी तवे पे डाली कि बल्ले वाले आ गए। इस प्रकार सुबह से लेकर शाम तक यह दौर चलता रहता। ेरात को भी वोटों केे मांगीलाल धमक पडते। कई बार तो महिलाओं को घर के मुख्य द्वार पर ताला ठोक केे गली वाले दरवाजे से अंदर जाकर दुबकना पडता ताकि टोलियां समझे कि घर में कोई नही है।
इसी प्रकार व्यापारी भी खासे परेशान रहे। एक तो कोरोनाकाल के कारण छुटपुट गिराकी, तिस पे उम्मीदवारों और उनके समर्थकों की आवाजाही। अरे भाई, हमारा वोट इस वार्ड में नही लगता फिर भी एक आया-दूसरा गया। दूसरा गया-तीसरा आया। आधा टेम तो उनकी हाथाजोडी में लग जाता। अब उनको भी राहत। पर उन ठाले लोगों के लिए परेशानी, जो कभी इस टोली में तो कभी उस टोली में घुसकर चाय-पानी और खरची का जुगाड कर लेते थे। इससे उनका समय भी व्यतीत हो जाता और कुछ मिल भी जाता। वैसे भी वो लोग चांतरियों पर ही पडे रहते थे। वोट पडने के बाद लौट के ठाले चांतरी पे आए। कुल जमा शांति हुई। अब इंतजार है बाल सामने आने का। तीन नवंबर को वो भी सामने आ जाएंगे। पता चल जाएगा-किस में कितना है दम..।