
उदयपुर। झीलों की नगरी उदयपुर में वैसे तो पानी के कई झरने बहते हैं, मगर इस बार शब्दों की ऐसी गंगा बही कि लोग उसमें गोते लगाने को मजबूर हो गए। मौका था रैफल्स उदयपुर के राइटर्स बार में ट्विंकल खन्ना के पुस्तक वाचन सत्र का—जी हां, वही ट्विंकल खन्ना, जो पहले बॉलीवुड में “स्टार” थीं और अब साहित्य के आसमान में टिमटिमा रही हैं! इस कार्यक्रम को लेकर साहित्य प्रेमी इतने उत्साहित थे कि मानो यह ऑस्कर अवॉर्ड नाइट हो!
ट्विंकल खन्ना की “वेलकम टू पैराडाइज़” से निकले शब्द ऐसे गूंजे कि हर कोई बस सुनता ही रह गया। ध्वनिक संगीत की धुनों पर जब उन्होंने पढ़ना शुरू किया, तो कुछ लोग तो यह सोचकर मंत्रमुग्ध हो गए कि शायद अगले शब्दों के साथ कोई बैकग्राउंड डांस सीक्वेंस भी होगा! राइटर्स बार की सजावट भी किसी भव्य सेट से कम नहीं थी—औपनिवेशिक शैली, झूमरों की मद्धम रोशनी, और 3,000 किताबों का संग्रह! किताबें भी ऐसी सजी थीं मानो खुद कह रही हों, “अरे भाई, हमें भी पढ़ लो, सिर्फ सेल्फी मत खींचो!”
ट्विंकल खन्ना ने अपने लेखन के सफर की बात की और उनकी लेखन प्रक्रिया को ऐसे समझाया, जैसे कोई नया व्यंजन बनाने की विधि बता रही हों—”थोड़ा कल्पना डालें, चुटकी भर व्यंग्य मिलाएं और इसे ह्यूमर की धीमी आंच पर पकाएं!” रैफल्स उदयपुर के महाप्रबंधक राजेश नाम्बी ने कार्यक्रम को ‘प्रेरणादायक’ बताया। बिल्कुल! साहित्यिक चर्चाओं में शामिल लोगों को देखकर लग ही रहा था कि वे किसी बड़ी सामाजिक समस्या का समाधान निकालने वाले हैं—या फिर बस यह तय कर रहे हैं कि चाय के साथ कौन सा स्नैक्स बेहतर रहेगा!
अंत में, ट्विंकल खन्ना ने अपनी किताबों पर ऑटोग्राफ दिए, और साहित्य के साथ-साथ हाई-टी का भी भरपूर लुत्फ़ उठाया गया। साहित्यप्रेमी भी मज़े से चाय के घूंट भरते हुए मन ही मन सोच रहे थे—”वाह, पढ़ाई-लिखाई अगर ऐसी पार्टियों में शामिल होती रहे, तो कौन कहेगा कि साहित्य बोरिंग है?”
रैफल्स उदयपुर का यह सत्र साबित कर गया कि जब शब्दों में ग्लैमर का तड़का लग जाए, तो साहित्य भी स्टाइल स्टेटमेंट बन सकता है! अगली बार अगर कोई पूछे कि पढ़ाई-लिखाई का क्या फायदा, तो बस यह कह दीजिए—”कम से कम हमें ट्विंकल खन्ना से मिलने का मौका तो मिला