बच्चों के लिए भी खतरनाक है कंजंक्टिवाइटिस, ऐसे रखें उनका ध्यान

कंजंक्टिवाइटिस
कंजंक्टिवाइटिस

इन दिनों आई फ्लू ने अपना कहर बरपा रखा है। क्या बड़े क्या बुजुर्ग आंखों में होने वाले इस संक्रमण ने बच्चों तक को अपनी चपेट में ले रखा है। वहीं, माता-पिता के लिए यह चिंता का विषय बना हुआ है। स्कूल जाने वाले बच्चों में आई फ्लू के मामले बढ़ रहे हैं, जिसे कंजंक्टिवाइटिस भी कहा जाता है। कंजंक्टिवाइटिस एक संक्रामक बीमारी है, जो आंख के सफेद हिस्से और पलकों के अंदरूनी हिस्से को ढकने वाले पतले टिशू को प्रभावित करता है। हालांकि, आमतौर पर यह गंभीर नहीं है, लेकिन इससे काफी असुविधा और अस्थायी रूप से विजन में समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में बच्चों को इससे बचाने के लिए कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

साफ-सफाई का ध्यान रखें

कंजंक्टिवाइटिस इंफेक्शन को फैलने से रोकने के लिए बच्चे को साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना सिखाना होगा। उन्हें बार-बार अपने हाथों को साबुन और पानी से धोने के लिए कहें। खासकर आंखों को छूने के बाद, टिश्यू का इस्तेमाल करने के बाद या फिर ऐसे लोगों के संपर्क में आने के बाद जिनमें कंजंक्टिवाइटिस के लक्षण हो सकते हैं।

आंखों को छूने या रगडऩे से बचें

अपने बच्चे को आंखों को बार-बार छूने या रगडऩे से बचने की आदत डलवाएं क्योंकि इससे संक्रमण का खतरा काफी बढ़ सकता है। इसके अलावा अगर उन्हें आंखों में किसी भी तरह की कोई असुविधा या खुजली महसूस होती है, तो उन्हें हाथ से छूने के बजाय एक नर्म टिशू दें।

पर्सनल सामान को साफ करें

बच्चों को कंजंक्टिवाइटिस से बचाने के लिए उनकी चीजों को किसी और के साथ न बांटें साथ ही समय-समय पर इसे साफ करते रहें। तौलिये, तकिए और चश्मे के जरिए भी यह संक्रमण फैल सकता है। इसलिए संक्रमण के खतरे को कम करने के लिए उनकी चीजों को डिसइंफेक्ट करते रहें। इसके अलावा उन्हें सिखाएं वे अपने क्लासमेट के साथ भी पर्सनल सामान जैसे रुमाल आदि को शेयर न करें।

रेगुलर आई टेस्ट

आंखों की नियमित जांच से इससे जुड़ी किसी भी समस्या को शुरुआत में ही पहचानने में मदद मिल सकती है। समय पर नेत्र रोग विशेषज्ञ से सम्पर्क करने से कंजंक्टिवाइटिस से बचा जा सकता है।

संक्रमित होने पर बच्चे को घर पर रखें

अगर बच्चे में कंजंक्टिवाइटिस के लक्षण दिखाई दे रहे हैं, जैसे कि रेडनेस, खुजली, अत्यधिक आंसू आना या आंख से सफेद लिक्विड का आना, तो उन्हें घर पर रखें और तुरंत आंख के डॉक्टर से सम्पर्क करें। इससे न केवल संक्रमण को फैलने से रोकने में मदद मिलेगी बल्कि बच्चे को असुविधा से बचाने में भी मदद मिलेगी।

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