
अनचाही प्रेग्नेंसी से बचने के लिए गर्भनिरोधक गोलियां को एक अच्छा ऑप्शन माना जाता है। वैसे तो ये गोलियां एक तरह से आपकी टेंशन कम करने का काम करती हैं, लेकिन वहीं दूसरी ओर इन गोलियों का सेवन करने वाली महिलाएं शिकायत करती हैं कि इससे उनका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है। तनाव, गुस्सा आना, घबराहट, बेवजह की टेंशन ऐसे कुछ लक्षण हैं, जिसका कई सारी महिलाओं ने अनुभव किया है।
गर्भनिरोधक गोलियां लेने से हो सकती हैं ये समस्याएं

डॉ. बताती हैं कि, उनके पास ऐसी कई सारी महिलाएं आती हैं, जिन्होंने गर्भ निरोधक दवाओं का इस्तेमाल किया और इसके चलते वो लगातार डिप्रेशन, एंग्जाइटी, मूड स्विंग्स जैसी समस्याओं की सामना कर रही हैं। वहीं दूसरी ओर कुछ महिलाओं ने इसके पॉजिटिव रिजल्ट्स भी बताएं। सबसे पहला जो पॉजिटिव रिजल्ट उन्हें देखने को मिला, वो यह कि दवाओं लेने से उनके पीरियड्स रेग्युलर रहने लगे। इसके साथ ही पीरियड्स के दौरान होने वाले पेट दर्द, क्रैम्प जैसी समस्याओं से भी राहत मिली। इसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि गर्भ निरोधक दवाओं का अलग-अलग महिलाओं पर अलग- अलग असर देखने को मिलता है। अगर बात नॉन- हार्मोनल गर्भ निरोधक तरीकों की करें, जैसे कंडोम या कॉपर आईयूडी की, तो इनका असर हार्मोन्स पर नहीं पड़ता है, जिस वजह से इन्हें खाने से मानसिक सेहत भी दुरुस्त रहती है। कुल मिलाकर सलाह यह है कि गर्भनिरोधक चुनते समय एक बार अपने डॉक्टर से कंसल्ट कर लेना जरूरी है।
वो आगे बताती हैं कि, हार्मोनल गर्भनिरोधक गोलियां, इंजेक्शन या आईयूडी जैसी दवाएं सबसे कॉमन हैं, जो एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन जैसे हार्मोंन्स पर असर डालती हैं और इनका सीधा असर आपके मूड पर पड़ता हैं। इन हार्मोनों के लेवल में होने वाले उतार-चढ़ाव मूड स्विंग्स से लेकर डिप्रेशन की वजह बन सकते हैं।
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