
कॉपर खदान में फंसे अन्य 13 लोगों को बाहर निकाला, तीन की हालत नाजुक
झुंझुनूं। झुंझुनूं के कोलिहान में हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड की कॉपर खदान हादसा में फंसे सभी अधिकारियों को बुधवार को बाहर निकाल लिया गया। हादसे में मुख्य सतर्कता अधिकारी उपेंद्र पांडे की मौत हो गई है। वे कोलकाता से आई विजिलेंस टीम के सदस्य थे। तमाम कोशिश के बावजूद पांडे को बचाया नहीं जा सका। उपेन्द्र पांडे के शव को खेतड़ी के केसीसी अस्पताल ले जाया गया है। बाहर निकाले गए अन्य लोगों में से तीन की हालत गंभीर है जिन्हें जयपुर के मणिपाल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। मंगलवार रात लिफ्ट की चैन टूटने से 14 अधिकारी और कर्मचारी खदान में 1875 फीट की गहराई में फंस गए थे।
पुलिस ने बताया कि डॉक्टरों की टीमें पहले से ही आपात स्थिति के लिए तैयार थीं। लिफ्ट से बाहर निकालते ही सभी घायलों को तुरंत मेडिकल सुविधा दी गई।150 मजदूरों को भी अब बाहर निकाला जाएगा।
ऐसे हुआ हादसा
विजिलेंस टीम मंगलवार शाम को खदान में उतरी थी। खदान से निकलते वक्त करीब रात 8:10 बजे लिफ्ट की चेन टूट गई। जिस कारण लिफ्ट में मौजूद सभी 14 लोग उसमें फंस गए। जिस जगह लिफ्ट फंसी है, खदान में उसी के पीछे 150 से ज्यादा मजदूर भी काम कर रहे थे। वे सब भी इस लिफ्ट हादसे के कारण खदान के अंदर ही फंस गए थे।

सिर्फ लिफ्ट से ही जाया जा सकता है अंदर
खदान में काम करने वाले एक कर्मचारी ने बताया कि खदान काफी गहरी है। यहां तीन मीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से लिफ्ट नीचे जाती है। लिफ्ट से ही अंदर जाया जा सकता है। इसके अलावा कोई और विकल्प नहीं है। यह लिफ्ट लोहे के रस्सों पर चलती है। आने-जाने के लिए दो अलग-अलग लिफ्ट हैं। खदान में जाने से पहले हर मजदूर की मेडिकल जांच की जाती है। इसके बिना अंदर खदान में जाने की अनुमति नहीं मिलती। खेतड़ी तांबा खदान में कर्मचारियों की दो जगह हाजिरी होती है। खदान में प्रवेश करने पर भी और बाहर निकलने पर भी, ताकि कर्मचारी के सुरक्षित होने का पता चल सके।
1967 में शुरू हुआ था तांबा खनन
हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड की ओर से 1967 में यहां तांबा खनन शुरू किया गया था। 24 मिलियन टन अयस्क यहां से निकाला जा चुका है। इसमें 16 मिलियन टन खनन किया जाना अभी बाकी है।
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