
जयपुर। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सरिस्का टाइगर रिजर्व की सीमा घटाकर खनन गतिविधियों को पुनः शुरू करने की संभावित योजना का विरोध करते हुए इसे पर्यावरण और वन्यजीवों के लिए खतरनाक कदम बताया है। उन्होंने सोमवार को अपने एक्स हैंडल पर इस मुद्दे को लेकर पोस्ट साझा करते हुए सरकार को आड़े हाथों लिया। अशोक गहलोत ने लिखा कि “सरिस्का टाइगर रिजर्व बाघों के संरक्षण और पुनर्वास का अद्वितीय उदाहरण है। एक समय था जब यहां एक भी बाघ नहीं बचा था, लेकिन विशेष संरक्षण प्रयासों से आज यह संख्या 50 के करीब पहुंच चुकी है। अब यदि सरकार जंगल की सीमा घटाकर खदानें दोबारा शुरू करना चाहती है, तो यह दुर्भाग्यपूर्ण और वन्यजीवों के लिए अत्यंत नुकसानदेह होगा।”
उन्होंने लिखा कि राज्य और केंद्र दोनों सरकारों में वन एवं पर्यावरण मंत्री अलवर से ही हैं, ऐसे में उन्हें इस विषय पर और अधिक संवेदनशील होकर कार्य करना चाहिए। राज्य में भाजपा सरकार के आने के बाद पर्यावरण विरोधी योजनाओं को तेजी से मंजूरी दी जा रही है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए गंभीर संकट बन सकती हैं। ने मांग की कि सरिस्का की सीमा में कटौती कर खनन को फिर से शुरू करने की योजना को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए, ताकि बाघों एवं अन्य वन्यजीवों का निवास क्षेत्र सुरक्षित रह सके। लेकिन विशेष संरक्षण प्रयासों से आज यह संख्या 50 के करीब पहुंच चुकी है। अब यदि सरकार जंगल की सीमा घटाकर खदानें दोबारा शुरू करना चाहती है, तो यह दुर्भाग्यपूर्ण और वन्यजीवों के लिए अत्यंत नुकसानदेह होगा।”
पूर्व मुख्यमंत्री ने मीडिया में आए समाचारों का हवाला देते हुए कहा कि उन्हें पता चला है कि राज्य सरकार सरिस्का वन क्षेत्र के दायरे को कम करना चाहती है ताकि लगभग 50 खदानों को फिर से चालू किया जा सके। उन्होंने चेतावनी दी कि जंगल के निकट इन खदानों को फिर से शुरू करने का सीधा नुकसान वहां के वन्यजीवों को उठाना पड़ेगा, जिससे उनकी प्राकृतिक पर्यावास और अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न हो जाएगा।अशोक गहलोत ने इस मुद्दे पर केंद्रीय और राजस्थान दोनों सरकारों के वन एवं पर्यावरण मंत्रियों (जो संयोगवश अलवर से ही संबंधित हैं) से अधिक संवेदनशील होने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि इन मंत्रियों को इस महत्वपूर्ण वन्यजीव और पर्यावरण के मुद्दे पर विशेष ध्यान देना चाहिए। गहलोत ने राजस्थान में भाजपा सरकार आने के बाद से ही पर्यावरण और वन्यजीवों के प्रतिकूल कई परियोजनाओं को मंजूरी दिए जाने पर भी कड़ी आपत्ति जताई।
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