खतरनाक : पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर, आत्महत्या के आते हैं विचार

पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर
पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर

ये हैं लक्षण और ऐसे होगा इलाज

हर किसी के जीवन में कोई ना कोई ऐसी दुखद घटना घटती है, जिसे उसके लिए भुला पाना मुश्किल होता है। कभी किसी प्रिय व्यक्ति की मौत, तो कभी आर्थिक नुकसान। इस तरह की घटनाओं से व्यक्ति टूट जाता है। हालांकि, इस तरह की घटनाएं कितनी भी दुखद क्यों ना हों, समय के साथ कुछ लोग इन बुरी घटनाओं को भूलकर जिंदगी में आगे बढ़ जाते हैं। वहीं, कुछ ऐसे लोग भी होते हैं, जो अपनी जीवन में घटी इन दुखद घटनाओं से जल्दी बाहर नहीं आ पाते। कई महीने उदासी में डूबे रहते हैं। ऐसे लोगों के लिए सदमे से निकलना बहुत ही मुश्किल हो जाता है। इसी समस्या को पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर कहते हैं। कई स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है कि युद्ध और दंगों से प्रभावित इलाकों में रहने वाले लोग इस मनोदशा से अधिक पीडि़त होते हैं।

क्या है पीटीएसडी?

क्या है पीटीएसडी?
क्या है पीटीएसडी?

पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर या पीटीएसडी एक तरह का मानसिक विकार है, जो आमतौर पर किसी दर्दनाक घटना के बाद हानिकारक और चिंताजनक भावनाओं को जन्म देने के बाद विकसित होती है। कभी-कभी, पीटीएसडी से पीडि़त लोग घटनाओं को बार-बार याद करते हैं। यह समस्या किसी भी उम्र या लिंग के व्यक्ति को हो सकती है। अगर यह स्थिति महीनों और वर्षों तक बनी रहती है, तो यह जीवन, काम और यहां तक कि रिश्तों में भी बाधा डाल सकती है।

पीटीएसडी के लक्षण

क्या है पीटीएसडी?
क्या है पीटीएसडी?
  • किसी दर्दनाक घटना की बुरी यादें
  • बुरे सपने
  • चिंता, भय, संदेह या चिंता की भावना
  • युद्ध, मृत्यु या हत्या के विचार
  • भावनात्मक रूप से अलग-थलग होने की भावना
  • जिन चीज़ों में आनंद आता था, उनमें रुचि खोना
  • उत्तेजित, तनावग्रस्त या आसानी से चौंक जाने की भावना
  • क्रोध या चिड़चिड़ापन
  • ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
  • सोते रहने या सोने में कठिनाई

पीटीएसडी का कारण

पीटीएसडी मुख्य रूप से अतीत में हुई किसी घटना का परिणाम होता है। किसी प्राकृतिक आपदा, हमले, युद्ध, गंभीर दुर्घटना आदि का दिमाग पर गहरा असर होने की वजह से प्यक्ति पीटीएसडी का शिकार हो सकता है। हालांकि, यह जरूरी नहीं कि ऐसी किसी दुर्घटना के चश्मदीद रहे हर व्यक्ति को पीएसडी होता है।

पीटीएसडी का इलाज

  • पीटीएसडी के पीडि़त व्यक्ति का इलाज करने के लिए ट्रिगर करने वाली घटनाओं को कंट्रोल करने की कोशिश भी की जाती है। इसके अलावा मनोचिकित्सा और दवाओं की मदद से भी इसका इलाज किया जाता है। पीटीएसडी के इलाज में निम्न थैरेपी फायदेमंद होती हैं।
  • कॉग्नेटिव बिहैवियर थेरेपी- इस थैरेपी की मदद से पीडि़त व्यक्ति के अंदर मौजूद नकारात्मक सोच, बुरे सपनों, डर और बुरी यादों को दूर करने की कोशिश की जाती है।
  • एक्सपोजर थैरेपी- इस थैरेपी के जरिए अतीत में हुई किसी दुर्घटना या बुरे सपने के बारे में जानकर इसके आधार पर इलाज की आगे की रूप-रेखा तैयार की जाती है।
  • फेमिली थैरेपी- कई बार पीटीएसडी से ग्रसित व्यक्ति के जीवन में मौजूद परेशानी की वजह से उनके परिवार के लोग प्रभावित होने लगते हैं। इस स्थिति में फेमिली थैरेपी का इस्तेमाल किया जाता है।

यह भी पढ़ें : लंदन में जीवंत हुई राजस्थानी परंपरा : राजस्थानी प्रवासियों ने लिया ‘जीमण’ का आनंद