जयपुर में इशरे कूल कॉन्क्लेव में डीकार्बोनेजेशन पर हुई चर्चा

डीकार्बोनेजेशन
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जयपुर। राजस्थान की राजधानी जयपुर में गुरुवार को शुरु हुए तीन दिवसीय इंडियन सोसाइटी ऑफ हीटिंग, रेफ्रिजरेटिंग एंड एयर कंडीशनिंग इंजीनियर्स (इशरे) कूल कान्क्लेव में दो दिनों में हीटिंग, वेंटिलेशन, एयर कंडीशनिंग और रेफ्रिजरेशन उद्योग में डीकार्बोनाइजेशन पर चर्चा हुई। कूल कान्क्लेेव के अध्यक्ष पंकज ने कहा कि जयपुर प्रदर्शनी और कन्वेंशन सेंटर में चल रहा यह कार्यक्रम पर्यावरणीय स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध पेशेवरों और संगठनों के लिए एक शानदार अवसर साबित हो रहा है और कार्यक्रम के दूसरे दिन डीकार्बनाइजेशन पर चर्चा हुई और इस पर गहन अन्वेषण हुआ और नवाचारी समाधान प्राप्त किया गया।

इसमें भाग ले रहे लोगों का लक्ष्य डीकार्बोनाइजेशन के भविष्य के बारे में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्राप्त करना, नवीन समाधानों की खोज करना तथा ऐसी नीतियों को आकार देने में योगदान देना है जो हमें इस परिवर्तनकारी कार्यक्रम में अधिक टिकाऊ और लचीले भविष्य की ओर ले जायेगी जो डीकार्बोनाइजेशन के भविष्य को आकार देगी। कार्यक्रम में देश के विशेषज्ञ, संगठनात्मक नेता, उद्योग के नेता, नीति निर्माता, नवप्रवर्तक और पर्यावरणविद कार्बन उत्सर्जन को कम करने और हीटिंग, वेंटिलेशन, एयर कंडीशनिंग और रेफ्रिजरेशन उद्योग में संधारणीय प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए कार्रवाई योग्य रणनीतियों पर चर्चा की।

कार्यक्रम में नवाचारी डीकार्बोनाइजेशन रणनीतियों और सतत बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया। इसमें धारकर के अलावा अन्य वक्ताओं में अंशुल गुजराती, सुधीर माथुर और अनूप बालानी, आदित्य नारायण सिंह, लवलीन सिंह, टीबीडी, बीम अल पटवारी और रुशमिर मुजिक एवं अन्य विशेषज्ञों ने डीकार्बोनाइजेशन पर अपने विचार प्रकट किए। दूसरे दिन के कार्यक्रम का समापन नेटवर्किंग ब्रेक और डिकार्बोनाइजेश एक्सीलेंस अवार्ड्स के साथ हुआ।
इससे पहले गुरुवार को इसका शुभारंभ पर उदयपुर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य डा डॉ लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ का मुख्य संबोधन हुआ।

जिसमें उन्होंने बच्चों को कम उम्र में ही पर्यावरण और विरासत की समझ को बढ़ाने की जरुरत बताते हुए कहा कि बच्चों के माता पिता एवं शिक्षण संस्थाओं को इस दिश में विशेष कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सस्टेनेबिलिटी और हैरिटेज की बात तब सफल होगी जब आने वाली पीढी को इसकी जानकारी होगी। धारकर ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रयासों को तेज करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।