उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी ने सांस्कृतिक विरासत प्रशिक्षण शिविर का किया उद्घाटन

उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी
उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी
  • पारंपरिक चित्रकला, आला गिला, आराईश, ध्रुवपद, कथक, बांसुरी, कैलीग्राफी, ठीकरी जैसी कलाएं शामिल

जयपुर। महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय संग्रहालय ट्रस्ट द्वारा सिटी पैलेस, जयपुर में आयोजित सांस्कृतिक विरासत प्रशिक्षण शिविर का राजस्थान की उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी ने वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन किया। इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि “सिटी पैलेस में पिछले 28 वर्षों से सांस्कृतिक विरासत प्रशिक्षण शिविर का आयोजन निरंतर रूप से प्रत्येक वर्ष किया जा रहा है। हमारे परिवार की सदैव यह प्राथमिकता रही है कि पारंपरिक कलाओं और शिल्प को संरक्षित रखा जाए तथा उन्हें प्रोत्साहित कर अगली पीढ़ियों तक पहुंचाया जाए। हम इसी परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

गौरतलब है कि यह शिविर पारम्परिक कलाओं की प्रतिनिधि संस्था ‘रंगरीत’ तथा ‘सरस्वती कला केन्द्र’ के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है।”उप मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि राजस्थान की कला और संस्कृति विश्व स्तर पर अपनी विशिष्ट पहचान रखती है, और इसे आगे बढ़ाने का कार्य हमारी भावी पीढ़ियां करेंगी। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य सरकार ने प्रत्येक जिले में स्थानीय कलाओं को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से ‘वॉल पेंटिंग’ पहल की शुरुआत की है। इस प्रयास से देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को उस क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत की जानकारी प्राप्त होगी और पारंपरिक कला को नया जीवन मिलेगा।

इससे पूर्व, उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी ने बच्चों को पर्यावरण से जोड़ने के लिए पौधे और परिंडे भी वितरित किए। इस दौरान उन्होंने शिविर की व्यवस्थाओं का जायजा लिया और उचित दिशा-निर्देश भी दिए। इस अवसर पर महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय संग्राहलय की कार्यकारी ट्रस्टी, रमा दत्त; संग्रहालय एवं ट्रस्ट के निदेशक, वैभव चौहान और सिटी पैलेस के कला एवं संस्कृति, ओएसडी, एवं वैदिक चित्रकार रामू रामदेव उपस्थित रहे।एक माह तक चलने वाले इस सांस्कृतिक विरासत प्रशिक्षण शिविर में प्रतिभागियों को चित्रकला, आला गिला, आराईश, ध्रुवपद, कथक, बांसुरी, कैलीग्राफी, वैदिक ज्योतिष जैसी पारंपरिक कलाओं का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त, इस वर्ष प्रशिक्षण शिविर में एक नई कला शैली ठीकरी (मिरर वर्क) को भी शामिल किया गया है। शिविर के दौरान प्रसिद्ध कला विशेषज्ञों द्वारा विभिन्न पारंपरिक कला रूपों में व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करेंगे। शिविर का समापन 20 जून को होगा।

शिविर का समन्वय रामू रामदेव द्वारा किया जा रहा है, जो बाबूलाल भारोदिया के साथ ‘पारंपरिक चित्रकला’ कार्यशाला का संचालन भी करेंगे। डॉ. नाथूलाल वर्मा ‘आला गिला और आराईश’ (फ्रेस्को) का प्रशिक्षण देंगे। वहीं, जयपुर घराने का ‘ध्रुवपद’ डॉ. मधुभट्ट तैलंग द्वारा और जयपुर घराने का ‘कथक एवं लोकनृत्य’ डॉ. ज्योति भारती गोस्वामी द्वारा सिखाया जाएगा। ‘बांसुरी’ का प्रशिक्षण आर.डी. गौड़ द्वारा प्रदान किया जाएगा। इसी प्रकार, हिंदी और अंग्रेजी में ‘कैलीग्राफी’ और ‘पोट्रेट’ का ललित शर्मा के निर्देशन में प्रशिक्षण दिया जाएगा। डॉ ब्रजमोहन खत्री ‘वैदिक ज्योतिष’ का ज्ञान देंगे। इसके अतिरिक्त, इस वर्ष, शिविर के दौरान बद्री नारायण कुमावत 15 दिन के लिए ‘ठीकरी’ (मिरर वर्क) कला की बारीकियों से अवगत कराएंगे।