धारीवाल की चुनौती- 7000 करोड़ के काम कोटा में कराए हैं, मुझे नोटिस दो, जांच कराओ

Dhariwal's challenge - Work worth Rs 7000 crore has been done in Kota, give me notice and get it investigated
Dhariwal's challenge - Work worth Rs 7000 crore has been done in Kota, give me notice and get it investigated

कोटा। पिछली कांग्रेस सरकार के समय हुए घोटालों को लेकर तत्कालीन नगरीय विकास, आवासन एवं स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने 15वीं और 16वीं विधानसभा में सरकार को ललकारा कि अगर हमारी सरकार में घोटाले, हेरफेर, सत्ता का दुरुपयोग औऱ न्यायालय व प्रशासनिक आदेशों की खुली अवहेलना हुई है तो सरकार जांच करवाए। धारीवाल की यह चुनौती चर्चा का विषाय बनी हुई है। लेकिन, अब सवाल यह है कि क्या धारीवाल को घोटालों की सच्चाई का सामना करना पड़ सकता है। सदन में कई मंत्री भी जांच कराए जाने का आश्वासन दे चुके हैं।

बता दें कि भाजपा के कई बड़े नेताओं ने आरोप लगाए हैं कि पूर्ववर्ती सरकार में मंत्री धारीवाल के कार्यकाल में सत्ता का खुला दुरुपयोग हुआ, जहां नियमों को ताक पर रखकर करोड़ों रुपए की सरकारी संपत्तियों को निजी लाभ के लिए आरक्षित दर पर बांटा गया। प्रशासनिक प्रक्रियाओं को नजरअंदाज कर न्यायालय के आदेशों को तोड़कर और मास्टर प्लान से खिलवाड़ कर बड़े स्तर पर अनियमितताएं की गईं हैं।

अवैध पट्टे और भूमि घोटालाः

साल 1999 से 2013 के बीच अनधिकृत प्लॉटों को वैध करने के आदेश जारी हुए बिना किसी प्रशासनिक प्रक्रिया के। कोटा में 32 कालोनियों में लाखों आवेदन आने पर भी करोड़ों रुपए मूल्य की जमीन को आरक्षित दर पर किन नियमों के तहत बांट डाला। ऐसा नियम JDA क्यों नहीं लगाया। एक ही नियम को अलग-अलग कैसे लागू किया गया। इसकी जांच की गई क्या। क्योंकि इन योजनाओं के नाम पर सरकारी जमीनें औने-पौने दामों में बांटी गईं।

चंबल रिवर फ्रंट – न्यायालय की अवहेलनाः

हाईकोर्ट के आदेश के विपरीत नदी के बीचोंबीच नदी पेटे में रिवर फ्रंट के नाम पर दुकानें बनाकर अवैध निर्माण हुआ। करोड़ों के ठेके बिना स्वीकृति के एक ही व्यक्ति अनूप के कहने से जारी किए गए, कोटा की एक फर्म को टुकड़े-टुकड़े कर करोड़ों रुपए के काम दे डाले और NGT को 19500 वर्गमीटर बिल्ड उप एरिया की गलत रिपोर्ट देकर वास्तविक निर्माण क्षेत्र छुपाया गया।

कोटा में सैकड़ों करोड़ की सरकारी जमीन की बंदरबांटः

करीब 32 कालोनी की योजनाओं की आड़ में हजारों करोड़ रुपए की सरकारी जमीन अपने चहेतों को आरक्षित दर पर बेची गई, जिससे सरकारी राजस्व को भारी नुकसान हुआ। जयपुर रिंग रोड और मास्टर प्लान में हेरफेरः “लैंड फॉर लैंड” नीति की आड़ में रिंग रोड की करोडों रुपए की जमीन सस्ते दामों पर प्रीमियम भूमि बेची गई। मास्टर प्लान नहीं बनाया गया, बल्कि जोनल प्लान बदलकर अजमेर, जयपुर में सैकड़ों एकड़ जमीन का भ-उपयोग बदल डाला।

AMRUT 2.0 में सीवरेज घोटालाः

जयपुर में 480 करोड़ रुपए की सीवरेज परियोजना में नगर निगम की DPR बदली गई और अयोग्य फर्म को ठेके दे दिए गए। जांच में यह घोटाला प्रमाणित हो चुका है। इसमें कार्रवाई होना बाकी है। इसी तरह हाउसिंग बोर्ड संपत्तियों की अवैध बिक्री 7000 करोड़ का टर्न ओवर अब 350 करोड़ का रह गया। बजट घोषणा में गैर-आवंटित मकानों की नीलामी करने की बजाय हाउसिंग बोर्ड की 2000 करोड़ की प्रीमियम संपत्तियां सस्ते दामों में नीलामी के नाम पर अपने चहेती निजी फर्म को बेची गईं।

FSTP घोटाला – 800 करोड़ की एवज में 1174 करोड़ रुपए के टेंडरों में खेलः

बजट घोषणा के तहत 50 शहरों के लिए 200 करोड़ रुपए का प्रवाधान था। लेकिन. 480 करोड़ रुपए के कार्य आदेश दे दिए गए। फिर अगले साल 22-23 में 600 करोड़ की स्वीकृति लेकर 700 करोड़ के टेंडर दे दिए गए। मनमाने ढंग से बिना बजट के 25 शहर के टेन्डर कर डाले। इनकी अनुमति भी धारीवाल द्वारा ही दी गई।

RUIDP और RUDSICO के ठेकों में एक ही फर्म को फायदाः

सभी बड़े ठेके एक ही फर्म को या दलालों और अधिकारियों की चहेती कंपनियों को बिना योग्यता देखे दिए गए। एक ही कंपनी को 15-15 ठेके, करोड़ों रुपये में दे दिए गए। बड़ी फर्म को ठेका दिलाकर अधिकारियों ने अपने ही चहेतों को सबलेट करवा डाला और अपरोक्ष रूप से खुद की भागीदारी कर ली।

स्मार्ट सिटी और AMRUT फंड का गैर-प्रशासनिक उपयोगः

स्मार्ट सिटी और AMRUT के करोड़ों रुपये बिना तकनीकी या प्रशासनिक स्वीकृति के मनमाने ढंग से खर्च किए गए। इसी तरह सीसीटीवी लगाने के नाम पर करोड़ों का फर्जी भुगतान हुआ, और स्वच्छ भारत मिशन में बिना टेंडर लाखों के भुगतान आज भी जारी हैं।

अनुचित ठेकों का टुकड़ों में विभाजनः

सूत्रों के मुताबिक बड़े प्रोजेक्ट्स को 2 करोड़ रुपए से कम दिखाने के लिए 1.99 करोड़ के टुकड़ों में बांटा गया, जिससे बिना टेंडरिंग के ठेके दिए जा सकें। इसी तरह आरक्षित दर पर सरकारी जमीनें लॉटरी के नाम पर चहेतों को दी गईं, जबकि आम आदमी को उसके हक से वंचित रखा गया। आर.डी. मीणा जैसे अधिकारियों को पूरी छूट दी गई, जिन्होंने नियमों को तोड़कर मनमाने फैसले किए। इसी तरह जब आम लोगों के घर अवैध बताकर गिराए गए, तब धारीवाल जी का होटल आबादी भूमि पर बना होने के बावजूद सुरक्षित रहा।