धीरेन्द्र शास्त्री का बयान : महाकुंभ में युवतियों की रील बनाने वालों पर उठाया सवाल

Dhirendra Shastri's statement:
Dhirendra Shastri's statement:

भारतीय सनातन संस्कृति पर जोर

जोधपुर। बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेन्द्र शास्त्री ने जोधपुर में मीडिया से बातचीत के दौरान भारतीय सनातन संस्कृति, हिंदुत्व और धर्मांतरण जैसे विषयों पर अपने विचार साझा किए। महाकुंभ को गौरवशाली परंपरा का प्रतीक बताते हुए उन्होंने इसके उद्देश्यों और वर्तमान स्थिति पर भी टिप्पणी की।

धीरेन्द्र शास्त्री ने कहा, “भारतीय सनातन संस्कृति अनोखी और गौरवशाली है। महाकुंभ 144 वर्षों बाद हो रहा है, जो हमारी एकता का प्रतीक है। दुनिया भर से लोग, चाहे वे किसी भी राष्ट्रीयता के हों, इस आयोजन में शामिल होकर डुबकी लगाते हैं। यह हमारी वसुधैव कुटुंबकम की भावना को दर्शाता है।”

धर्मांतरण पर अभियान

उन्होंने आदिवासी समुदायों पर हो रहे धर्मांतरण को लेकर चिंता जाहिर की और कहा कि आदिवासी धर्मांतरण के लिए सबसे सॉफ्ट टारगेट हैं। इसे रोकने के लिए उन्होंने “हनुमान चालीसा बागेश्वर मंडल” अभियान की घोषणा की, जिसके तहत हर गांव और मोहल्ले में हिंदुत्व को सशक्त करने की पहल की जाएगी।

रील बनाम रियल की बहस

महाकुंभ में युवतियों की रील बनाने की प्रवृत्ति पर धीरेन्द्र शास्त्री ने सवाल उठाया। उन्होंने कहा, “महाकुंभ का उद्देश्य हमारी सनातन संस्कृति का प्रचार-प्रसार करना है। यह साधु-संतों, शंकराचार्यों और मठाधीशों के लिए एक मंच है। लेकिन ध्यान रील बनाने पर केंद्रित हो गया है, जो कि कुंभ के उद्देश्यों को भटका रहा है। हमें रील में नहीं, रियल जिंदगी में जीना चाहिए।”

महाकुंभ: एक शोध का विषय

उन्होंने महाकुंभ को शोध का एक बड़ा केंद्र बताया, जहां 40 करोड़ लोगों के प्रबंधन का विश्लेषण किया जा सकता है। साथ ही, इस आयोजन को हिंदुत्व की रक्षा और धर्मांतरण के खिलाफ लड़ाई का माध्यम बनाने की बात कही।

धीरेन्द्र शास्त्री का बयान महाकुंभ के मूल उद्देश्यों की ओर ध्यान आकर्षित करता है। उनका कहना है कि यह आयोजन भारतीय सनातन संस्कृति और हिंदुत्व की जड़ों को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। रील संस्कृति से बचकर इस आयोजन को अपनी मूल भावना के साथ जीने पर जोर देना चाहिए।