गलवान हिंसक झड़प: भारत-चीन के बीच हर सप्ताह होगी चर्चा

भारतीय-चीनी सैनिक, indian-chinese army
भारतीय-चीनी सैनिक, indian-chinese army

गलवान हिंसक झड़प के बाद लगातार बढ़ रहे तनाव को कम करने के लिए भारत और चीन के बीच अब हर हफ्ते बैठक होगी। बैठक में भारत की तरफ से विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय के अधिकारियों के अलावा सैन्य कमांडर भी शामिल होंगे।

चीन मारे गए अपने सैनिकों की चर्चा नहीं कर रहा
यह बैठक डब्ल्यूएमसीसी (वर्किंग मेकेनिज्म फॉर काउंसिलेशन एंड कोऑर्डिनेशन) के तहत होगी। पिछले हफ्ते भी डब्ल्यूएमसीसी की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए एक बैठक हुई थी। सूत्रों के मुताबिक इस दौरान चीन ने 15 जून को गलवान वैली पर हुई हिंसक झड़प के दौरान मारे गए अपने सैनिकों की कोई चर्चा नहीं की।

हालांकि, भारत पहले ही अपने शहीद हुए सैनिकों की संख्या बता चुका है, लेकिन चीन अभी तक चुप्पी साधे है। इस हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हुए थे। वहीं, चीन के 40 से ज्यादा सैनिकों के मारे जाने का अनुमान है।

गलवान हिंसक झड़प में भारत शहीद हुए सैनिकों की संख्या बता चुका है, लेकिन चीन अभी तक चुप्पी साधे है

चीन के साथ हुई मीटिंग की महत्वपूर्ण बातें
सूत्रों ने बताया कि बातचीत में चीन ने गलवान में झड़प के लिए भारत को दोषी ठहराया। चीन ने पहले भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारत को घटना का जिम्मेदार बताया था। चीन ने सीमा विवाद से निपटने के लिए 1959 के नक्शे को मानने की मांग की। हालांकि, भारत ने इसे खारिज कर दिया। 1962 से पहले भी इस नक्शे से समस्या सुलझाने की मांग की गई थी। तब भी भारत ने इसे खारिज कर दिया था।

चीन ने कहा- उन्होंने सीमा विवाद को सुलझाने के लिए बहुत पहले ही एक प्रस्ताव दे दिया था। भारत को इस पर जवाब देना चाहिए। मीटिंग में प्रस्ताव की डिटेल नहीं बताई गई। मीटिंग के दौरान चीन ने नेपाल के साथ सीमा विवाद का मुद्दा उठाते हुए भारत पर विस्तारवादी होने का आरोप लगाया। भारत ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए आरोपों को खारिज किया।

भारत ने कहा था- चीन नए ढांचे बनाना बंद कर दे
गलवान झड़प और सीमा पर मौजूदा हालात के मद्देनजर भारत ने चीन को 26 जून को दो-टूक संदेश दिया था। भारत ने कहा है कि सीमा पर जैसे हालात थे, उन्हें बदलने की चीन की कोशिश का असर द्विपक्षीय संबंधों पर पड़ेगा। उसकी प्रतिक्रिया होगी। चीन में भारतीय राजदूत विक्रम मिसरी ने कहा कि हालात को सुधारने के लिए चीन के पास अब केवल एक ही रास्ता है, वो नए ढांचे खड़े करना बंद कर दे।