जिला उपभोक्ता आयोग ने हाउसिंग बोर्ड पर लगाया 62 हजार का हर्जाना

हाउसिंग बोर्ड
हाउसिंग बोर्ड

जयपुर। जिला उपभोक्ता आयोग तृतीय ने हाउसिंग बोर्ड द्वारा फ्लैट की कीमत से ज्यादा राशि वसूलने और तीन साल की देरी पर आवंटन को लापरवाही और अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस माना हैं। इसके साथ ही आयोग अध्यक्ष देवेन्द्र मोहन माथुर और सदस्य दुष्यंत कुमार शर्मा की बैंच ने हाउसिंग बोर्ड पर 62 हजार का जुर्माना लगाया हैं।

आयोग ने अपने आदेश में कहा कि हाउसिंग बोर्ड को आवसीय योजना में फ्लैट की अनुमानित कीमत में 10 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोत्तरी का अधिकार नहीं हैं। इस मामले में बोर्ड ने परिवादी से फ्लैट की अनुमानित कीमत से 66 प्रतिशत अधिक की वसूली की हैं। वहीं आवंटन तिथि से तीन साल की देरी पर उसे फ्लैट का आवंटन किया हैं। ऐसे में बोर्ड परिवादी को मानसिक पीड़ा के बदले 51 हजार रुपये और परिवाद खर्च के 11 हजार रुपये का भुगतान करे। वहीं फ्लैट की अनुमानित कीमत में 10 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी के साथ आवंटन करें। आयोग ने यह आदेश लेखराज बगड़ी के परिवाद पर दिए।

परिवाद में कहा गया कि उसने साल 2010 में हाउसिंग बोर्ड की इंदिरा गांधी नगर जी प्लस 3 योजना में आवेदन किया था। योजना में लॉटरी की तिथि 8 अक्टूबर 2010 नियत थी, लेकिन बोर्ड ने करीब डेढ़ साल की देरी से 30 मार्च 2012 को लॉटरी निकाली। उस समय उन्हें फ्लैट की कीमट 12 लाख रुपये बताई गई थी, लेकिन अलॉटमेंट पत्र में समस्त खर्चों के साथ फ्लैट की कीमत 21,05,478 बताई गई। जिसका उन्होने बोर्ड में विरोध दर्ज कराया, लेकिन उसमें मामूली कमी करके उन्हें राशि जमा कराने के लिए कहा गया। राशि जमा नहीं कराने पर अलॉटमेंट रद्द करने की चेतावनी दी गई। जिसके बाद उन्होने फ्लैट की राशि जमा कराकर 10 जून 2015 को इसका कब्जा प्राप्त कर लिया।