
ब्रेन के अंदर या उसके उसके आसपास के सेल्स का तेजी से बढऩे की स्थिति को ब्रेन ट्यूमर कहते हैं। यह ब्रेन की टिश्यूज या उसके आसपास भी हो सकता है। इसकी शुरूआत ब्रेन के अंदर होती है तो इसे प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर कहते हैं। कभी कभी ट्यूमर बॉडी के अन्य पार्टस से ब्रेन में फैल जाता है इस स्थिति में उसे सेकेंडरी ब्रेन ट्यूमर कहते हैं. हल्का ब्रेन ट्यूमर सामान्य तौर धीरे धीरे बढ़ता है। इससे ब्रेन के कुछ हिस्सों को नुकसान पहुंचा सकता है। मेनिंगियोमा, वेस्टिबुलर और पिट्यूटरी एडेनोमा इस श्रेणी के ब्रेन ट्यूमर हैं। ब्रेन ट्यूमर एक खतरनाक बीमारी है. इसके लक्षणों को कई बार छोटी मोटी परेशानी समझ कर नजरअंदाज कर दिया जाता है। ब्रेन ट्यूमर से बचाव के लिए इसके लक्षणों और कारणों को गंभीरता से समझना जरूरी है। हर साल 8 जून के दिन वल्र्ड ब्रेन ट्यूमर डे मनाया जाता है ताकि इस जानलेवा बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक किया जा सके।

अगर वक्त के साथ बढ़ रहा है टोपी या फिर जूते का साइज
दिमाग की पिट्यूटरी ग्रंथि का एक ट्यूमर जो अतिरिक्त ग्रोथ हार्मोन का उत्पादन करता है, एक ऐसी स्थिति का कारण बनता है जिसे एक्रोमेगाली कहा जाता है, जिसके परिणामस्वरूप सिर और पैरों का साइज बढ़ सकता है, जिससे आपको महसूस हो सकता है कि आपके पैर का साइज बढ़ गया है या फिर पुरानी टोपी अब फिट नहीं आ रही।
आंखों की रोशनी कमजोर होना

अचानक आंखों की रोशनी चले जाना या धुंधला दिखने लगना ब्रेन ट्यूमर की निशानी हो सकता है। आंखों की रोशनी पर कितना असर पड़ा है, यह ब्रेन में ट्यूमर की लोकेशन और उसके आकार पर निर्भर करता है।
सुगंध का अनुभव न होना
ओल्फेक्ट्री नर्व जहां से शुरू होती है, वहां अगर ब्रेन के फ्रंटल लोब से अगर ट्यूमर उत्पन्न हो रहा है, तो इससे आपकी स्मेलिंग पॉवर पर असर पड़ेगा।
सुनाई देना कम हो जाना
सेरेबेलर-पोंटीन कोण (श्रवण तंत्रिका के आसपास) में अगर ट्यूमर है, तो इससे सुनाई देने में दिक्कत और टिनिटस हो सकता है। स्तन से दूध आना (उस महिला के जो न तो ब्रेस्टफीड करवा रही है और न ही प्रेग्नेंट है) इस स्थिति को गेलेक्टोरिया कहा जाता है और यह पिट्यूटरी ग्रंथि के ट्यूमर के कारण होता है। यह प्रोलैक्टिन हार्मोन का जरूरत से ज्यादा उत्पादन करता है। निप्पल से दूध निकलने के अलावा महिलाओं में पीरियड का मिस हो जाना या फिर समय पर न आना भी देखा जाता है।
अवसाद जैसे लक्षण
जिन लोगों के फ्रंटल लोब में ट्यूमर होता है, उनमें अवसाद जैसे लक्षण देखे जाते हैं। अवसाद से जूझ रहा मरीज, जिसकी उम्र 50 या उससे ज्यादा है या फिर अवसाद पर दवाइयों का असर नहीं हो रहा है, तो इसकी एक वजह ब्रेन ट्यूमर भी हो सकती है।
व्यक्तित्व में परिवर्तन आना
कई मामलों में मरीज के व्यक्तित्व में परिवर्तन भी देखा जाता है, जैसे सामाजिक रूप से अनुचित व्यवहार, आंदोलन और मिजाज भी ब्रेन ट्यूमर के लक्षण हो सकते हैं।
डिमेंशिया का तेजी से बढऩा
याददाश्त के कमजोर होने के साथ रोजमर्रा के काम को पूरा करने में दिक्कत आना और इस परेशानी का तेजी से बढ़ते जाना भी ब्रेन ट्यूमर की ओर इशारा करता है।
दिमाग के अलावा दूसरे अंगों का बीमार होना
शरीर के दूसरे अंगों के कैंसर कई बार दिमाग तक फैल जाते हैं, जिसे मेटास्टैसिस कहा जाता है। उदाहरण के तौर पर, एक ऐसा व्यक्ति जिसकी खांसी के बलगम में खून आता है और साथ ही सिर दर्द भी है, तो उसे फेफड़ों का कैंसर हो सकता है, जो दिमाग तक फैल चुका है। इसी तरह एक महिला जिसके स्तन में गांठ के साथ भटका हुआ भी महसूस करती है, तो इसका मतलब यह हो सकता है कि उसे स्तन कैंसर है, जो दिमाग तक फैल चुका है।
कोई लक्षण न दिखना
जी हां, आपने सही सुना। कई स्थितियों में ब्रेन ट्यूमर के कोई भी लक्षण नजर नहीं आते। ऐसा तब अक्सर होता है जब ट्यूमर का आकार छोटा होता है। हज़ार में से 7 लोग ऐसे होते हैं, जो किसी तरह की चोट या सिर दर्द के लिए ब्रेन स्कैन करवाते हैं, जिसमें ब्रेन ट्यूमर का पता चलता है। ऐसे ज्यादातर मामलों में सर्जरी की जरूरत नहीं होती और 6 महीने या साल भर बाद सिर्फ ब्रेन स्कैन करवाना होता है।
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