थायराइड, तितली के आकार की एंक ग्रंथि है, जो एंडोक्राइन सिस्टम का हिस्सा है। यह कई जरूरी हार्मोन्स रिलीज करता है। इसका सबसे महत्वपूर्ण काम है, मेटाबॉलिज्म की गति को नियंत्रित करना। इसलिए थायराइड से जुड़ी बीमारियों में मेटाबॉलिक रेट बिगड़ जाता है। लेकिन आपको बता दें कि इसके अलावा, भी थायरॉइड ग्लैंड और कई काम करता है। इसलिए थायराइड डिसऑर्डर की वजह से आपकी पूरी सेहत प्रभावित हो सकती है। इस बारे में जानकारी हासिल करने के लिए हमने डॉ. साईबाल चक्रबर्ती (मेट्रो अस्पताल, नोएडा, के इंटरनल मेडिसिन के वरिष्ठ कंसल्टेंट) से बात की। आइए जानें इस बारे में उन्होंने क्या बताया। बढऩे ना दें थायराइड, हार्ट समस्या से लेकर इनफर्टिलिटी तक का बढ़ सकता है खतरा बढऩे ना दें थायराइड, हार्ट समस्या से लेकर इनफर्टिलिटी तक का बढ़ सकता है खतरा
थायरॉइड रोग से होने वाली परेशानियां

डॉ. ने बताया कि थायराइड ग्लैंड हार्मोन्स रिलीज करता है, जिससे मेटाबॉलिज्म कंट्रोल करना है, लेकिन थायरॉइड ग्लैंड में गड़बड़ी आपके पूरे स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है। हाइपोथायरॉइडिज्म एक थायराइड डिजीज है, जिसमें थायरॉइड हार्मोन कम मात्रा में रिलीज होता है। इसमे थकान, वजन बढऩा, डिप्रेशन और धीमी हृदय गति जैसे कुछ लक्षण देखने को मिलते हैं। इसके अलावा, इसकी वजह से शुष्क त्वचा, बाल झडऩा और ठंड के प्रति संवेदनशीलता बढऩे की वजह से रोजमर्रा का जीवन प्रभावित होने लगता है।
सरी ओर, थायरॉइड हार्मोन ज्यादा रिलीज होने के कारण हाइपरथायरॉइडिज्म की समस्या होती है, जिसमें वजन कम होना, भूख में वृद्धि, तेज दिल धडक़ना, ज्यादा पसीना आना, जैसे लक्षण नजर आते हैं। इस कंडिशन में दिल की धडक़नों में तेजी की वजह से एट्रियल फाइब्रिलेशन का खतरा बढ़ जाता है, जिसके कारण स्ट्रोक और मांसपेशियां कमजोर होने की समस्या हो सकती है।
दिल को करता है प्रभावित

थायरॉइड से जुड़ी इन दोनों बीमारियों में ही शरीर की नियमित प्रक्रियाएं बाधित हो सकती हैं। हाइपोथायरॉइडिज्म के कारण दिल की बीमारियों और कोलेस्ट्रॉल बढऩे जैसी समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है। इसके अलावा, यह कॉग्निटिव फंक्शन को कम कर सकता है, जिसके कारण एकाग्रता में कमी और कमजोर याददाश्त जैसी समस्याएं हो जाती हैं। ऐसे ही, हाइपरथायरॉइडिज्म में बोन टर्न ओवर बढ़ जाता है, जिसके कारण ओस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है।
हो सकती है इनफर्टिलिटी की समस्या
ऐसे ही, थायरॉइड की समस्या की वजह से अनियमित माहवारी और इनफर्टिलिटी जैसी परेशानियां भी हो सकती हैं। इतना ही नहीं, अगर गर्भावस्था के दौरान थायरॉइड रोग का इलाज न किया जाए, तो यह बच्चे और मां, दोनों की सेहत के लिए नुकसानदेह हो सकता है। इसके कारण प्रीएक्लेम्प्सिया और बच्चे के विकास में असामान्यताओं जैसी कठिनाइयां हो सकती हैं।
कुल मिलाकर ऐसा कहा जा सकता है कि थायरॉइड कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ, मेंटल हेल्थ, रिप्रोडक्टिव हेल्थ और मेटाबॉलिक संतुलन के लिए महत्वपूर्ण है। इसलिए थायरॉइड से जुड़ी बीमारियों का जल्द से जल्द पता लगाना और इलाज करवाना बेहद जरूरी है।
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