चतुर्थी तिथि पर इस तरह करें नहाय-खाय विधि

बिहार का सबसे बड़ा त्यौहार छठ पूजा की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। इस व्रत का महत्व बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश तथा झारखंड में बहुत अधिक होता है। हिन्दी पंचांग के अनुसार, छठ पूजा कार्तिक शुक्ल की षष्ठी तिथि को की जाती है। छठ पूजा के पहले दिन यानी चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय किया जाता है। आइए जानते हैं नहाय-खाय की तिथि और कैसे किया जाता है नहाय-खाय।

पहला दिन- नहाय-खाय तिथि:

हिन्दी पंचांग के अनुसार, छठ पूजा कार्तिक शुक्ल चतुर्थी तिथि से शुरू होती है। यह छठ पूजा का पहला दिन है। इसे नहाय-खाय कहते हैं। इस दिन स्नान होता है। इस वर्ष नहाय-खाय बुधवार, 18 नवंबर को है। इस दिन सूर्योदय सुबह 06:46 पर और सूर्योदय शाम 05:26 पर होगा।

क्या है नहाय-खाय:

छठ पूजा के पहले दिन नहाय-खाय किया जाता है। इस दिन जो लोग व्रत करते हैं वो स्नानादि के बाद सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। इसके बाद ही वो छठी मैया का व्रत करते हैं। इस दिन व्रत से पूर्व नहाने के बाद सात्विक भोजन ग्रहण करना ही नहाय-खाय कहलाता है। मुख्यतौर पर इस दिन व्रत करने वाला व्यक्ति लौकी की सब्जी और चने की दाल ग्रहण करता है। इस दिन जो खाना खाया जाता है उसमें सेंधा नमक का इस्तेमाल किया जाता है। जो लोग छठ का व्रत करते हैं उनके घरवाले तभी भोजन करते हैं जब व्रती द्वारा भोजन ग्रहण कर लिया जाता है। जो व्यक्ति व्रत करता है उसे व्रत पूरा होने तक भूमि पर ही सोना होता है।

कहा जाता है कि नहाय-खाय के दिन जो खाना बनाया जाता है उसे रसोई के चूल्हे पर नहीं बल्कि लकड़ी के चूल्हे पर बनाया जाता है। इस चूल्हे में केवल आम की लकड़ी का ही इस्तेमाल किया जाता है। इस दिन भोजन बनाकर उसका भोग सूर्य देव का लगाया जाता है। इस तरह पूजा के बाद सबसे पहले व्रत करने वाला व्यक्ति भोजन ग्रहण करता है और फिर परिवार के दूसरे सदस्य खाना खाते हैं।