भूलकर भी ना करें टैटू का शौक, कैंसर का मिलता है बढ़ावा

शरीर पर टैटू
शरीर पर टैटू

क्या आप भी स्टाइलिश दिखने के लिए टैटू बनवाने के शौकीन हैं? आपका ये शौक कहीं सेहत के लिए मुश्किलें न बढ़ा दे। कई अध्ययन इस बात को लेकर अलर्ट करते रहे हैं कि टैटू बनवाना और फिर उसे हटवाना दोनों ही सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है। स्वीडन में हाल में ही हुए एक अध्ययन में वैज्ञानिकों की टीम ने अलर्ट करते हुए कहा है कि टैटू बनवाने और उसे हटाने से लिम्फोमा का खतरा होता है, लिम्फोमा एक तरह का स्किन (त्वचा) कैंसर है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो टैटू बनवाने से कई तरह के जोखिम हो सकते हैं, जिनमें त्वचा में संक्रमण-एलर्जी और निशान पडऩे जैसी दिक्कतें शामिल हैं। कई खबरें ऐसी भी आती रही हैं कि गैर लाइसेंस प्राप्त स्थानों से टैटू बनाने वाले लोगों के घाव लंबे समय तक ठीक नहीं हुए और उन्हें गंभीर संक्रमण तक झेलना पड़ा। टैटू के कारण होने वाले जोखिमों और कई अन्य कारणों के चलते कई देशों में लोगों का अब टैटू से मोह भंग भी होता जा रहा है। हालिया अध्ययन की रिपोर्ट इसकी कहानी बयां कर रही है। भूलकर भी ना करें टैटू का शौक, कैंसर का मिलता है बढ़ावा

कई देशों में लोगों का टैटू से हो रहा मोहभंग

शरीर पर टैटू
शरीर पर टैटू

टैटू बनवा चुके या फिर इसे हटाने के लिए क्लिनिक पहुंच रहे लोगों को लेकर विशेषज्ञों की टीम ने एक अध्ययन किया। प्यू रिसर्च की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, टैटू बनवाने के बाद 25त्न लोगों को अब पछतावा होता है। लोगों में नेचुरल लुक की चाहत फिर से बढ़ रही है, अमेरिका और यूरोप में बड़ी संख्या में लोग अब टैटू से दूरी बना रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि लोगों का मानना है कि टैटू से उनकी त्वचा की प्राकृतिक सुंदरता प्रभावित हो रही है। यही कारण है कि अब लोग टैटू हटवाने के लिए भी नंबर लगा रहे हैं। टैटू हटवाने के कारणों में व्यक्तिगत सोच के अलावा धार्मिक मान्यता और सामाजिक माहौल प्रमुख हैं।

क्या टैटू बनवाने से कैंसर होता है?

शोधकर्ता वर्षों से टैटू और कैंसर के बीच संभावित संबंध को समझने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि इसके अभी तक मिलते-जुलते परिणाम ही देखने को मिले हैं। अधिकतर शोध मानते हैं कि अकेले टैटू बनवाने से त्वचा कैंसर होने की आशंका नहीं होती है, लेकिन टैटू की स्याही में कुछ अवयव हो सकते हैं जिसके कारण जोखिमों के बढऩे का खतरा रहता है। कुछ टैटू की स्याही में एजो नामक पदार्थ पाया गया था। ऑस्ट्रेलियाई सरकार की साल 2016 की एक रिपोर्ट में पाया गया कि टैटू बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली करीह 83 फीसदी काली स्याही में पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (पीएएच) नामक तत्व हो सकते हैं जिन्हें कैंसरकारक माना जाता रहा है।

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